ऑक्सीमीटर में पेन डालने पर भी दिखाता है ऑक्सीजन का लेवल? जानें वायरल मैसेज का सच

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीमीटर घर-घर इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिख रहा है कि ऑक्सीमीटर के अंदर एक स्केच पेन डालने पर भी ऑक्सीजन का लेवल शो हो रहा है। पास खड़ा एक व्यक्ति कहता है कि स्केच पेन में धड़कन होती है! वंदे मातरम दोस्तों! 

Asianet News Hindi | Published : May 14, 2021 11:56 AM IST / Updated: May 17 2021, 12:45 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीमीटर घर-घर इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिख रहा है कि ऑक्सीमीटर के अंदर एक स्केच पेन डालने पर भी ऑक्सीजन का लेवल शो हो रहा है। पास खड़ा एक व्यक्ति कहता है कि स्केच पेन में धड़कन होती है! वंदे मातरम दोस्तों! 

वीडियो में क्या दावा किया जा रहा है?
इसे देखिए, एक स्केच पेन की धड़कन और उसका ऑक्सीजन लेवल! मीडिया बेवजह लोगों को डरा रहा है। स्केच पेन में दिल की धड़कन 200 और ऑक्सीजन का स्तर 98 होता है। यह किस तरह का पाखंड है? इससे सावधान रहें। ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट से लोगों में डर पैदा किया जा रहा है।

फेसबुक पर शेयर हो रहा है वीडियो
एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को कैप्शन के साथ शेयर किया, सावधान रहें, धोखे में न आएं। ऑक्समीटर घोटाला: एक बेजान कलम में भी जीवन दिख रहा है। वीडियो को फेसबुक और व्हाट्सएप पर खूब शेयर किया जा रहा है।     

वीडियो का सच क्या है?
वीडियो की सच्चाई जानने से पहले समझना जरूरी है कि ऑक्सीमीटर काम कैसे करता है। दरअसल, ऑक्सीमीटर अपने सेंसर पर पड़ने वाली लाल और लाइट की मात्रा के आधार पर ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाता है। अगर किसी वस्तु को बीच में रखा जाता है तो लाइट की कुछ मात्रा सेंसर तक पहुंच सकती है, जिससे ये कुछ न कुछ रीडिंग दिखाता है। 

क्या ऑक्सीमीटर को चकमा देना संभव है?
इसका जवाब है हां। ऑक्सीमीटर एक साधारण उपकरण है, हालांकि यह 100 प्रतिशत सटीक नहीं है, लेकिन यह आपको आपके खून में ऑक्सीजन की मात्रा के बारे में एक अनुमान दे सकता है। नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर इशान गुप्ता ने बताया, अगर ऑक्सीमीटर में पेन या ऐसी कोई वस्तु डाली जाती है और इसका फोटो सेंसर लाइट का पता लगाने में सक्षम होता है, तो यह कुछ रीडिंग दिखा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ऑक्सीमीटर में कोई गलती है। 

ऑक्सीमीटर बनाने वाली कंपनियों ने क्या कहा?
भारत में प्रमुख ऑक्सीमीटर बनाने वाली कंपनियों में से एक बीपीएल ने ऐसी गलत धारणाओं को स्पष्ट करने के लिए एक ब्लॉग लिखा, जहां पेन या पेंसिल में ऑक्सीमीटर लगाने पर रीडिंग के कारण को समझाया गया है। ब्लॉग के मुताबिक, पल्स ऑक्सीमीटर या अन्य मशीन सेंसर पर पड़ने वाले लाल और इन्फ्रारेड लाइन की मात्रा के आधार पर रोगी की स्थिति का पता लगाया जाता है। जब इसके अंदर कुछ ऑब्जेक्ट डालते हैं तो डिटेक्टर पर पड़ने वाली लाइट से ऑक्सीमीटर पर रीडिंग दिखाई देती है। 

3 से 4 बार चेक करना चाहिए ऑक्सीजन लेवल
सरकार ने कोविड -19 लक्षणों वाले रोगियों को घर पर दिन में 3 से 4 बार ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का लेवल नापने की सलाह दी है। 

निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा सच नहीं है। ऐसा कोई फैक्ट नहीं मिला, जिससे साबित हो कि ऑक्सीमीटर गलत रीडिंग बता रहा है। ये कभी-कभी पेन जैसे वस्तु डालने पर रीडिंग दिखा सकता है क्योंकि डिटेक्टर पर गिरने वाली लाइट की अलग-अलग तीव्रता पल्सेटिंग इफेक्ट पैदा कर सकती है, जिससे ऑक्सीमीटर पर रीडिंग दिखाई देती है। 

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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