यहां मिला था तानसेन को आशीर्वाद
‘उठि प्रभात सुमिरियै, जै श्री गणेश देवा, माता जा की पार्वती पिता महादेवा।’घरों में गाई जाने वाली ये वंदना संगीत सम्राट तानसेन की देन है। मान्यता है कि संगीत सम्राट तानसेन ने बेहट में स्थित शिवालय व गणेश मंदिर में बैठकर ही ‘श्रीगणेश स्तोत्र’की रचना की थी। बेहट के ऐतिहासिक झिलमिलेश्वर शिव मंदिर में तानसेन को आवाज मिली, वहीं गणेश मंदिर परिसर में वे संगीत का रियाज करते थे। ग्वालियर से 55 किमी दूर तानसेन की जन्म स्थली बेहट के ऐतिहासिक गणेश मंदिर की रोचक कहानी है। बचपन में हकलाने वाले तानसेन को उनके पिता बेहट के शिवालय के बगल में बने गणेश मंदिर में दर्शन के लिए लाए थे। मान्यता है कि यहीं गणेश जी के आशीर्वाद से तानसेन की हकलाहट दूर हुई थी और उन्हें मधुर आवाज का आशीर्वाद मिला।