उज्जैन. भगवान श्रीकृष्ण का जीवन जितना सरल दिखाई देता है, उतना है नहीं। बाल्यकाल में ही अनेक दैत्यों ने उन्हें मारने का प्रयास किया। इसके बाद मथुरा पर लगातार हो रहे आक्रमण के चलते उन्होंने द्वारिका नगरी बसाई। समय-समय पर उन्होंने पांडवों की सहायता के लिए जाना पड़ा। उन्होंने कौरवों और पांडवों का युद्ध टालने की भी काफी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए और आखिर में गांधारी ने इस युद्ध का कारण उन्हे मानकर श्राप भी दे दिया। लेकिन इन सब के बाद भी श्रीकृष्ण ने कभी धर्म के मार्ग से मुंह नहीं मोड़ा। श्रीकृष्ण के जीवन में ऐसे अनेक मौके आए जब वे हताश हो सकते थे, लेकिन उन्होंने एक नई शुरूआत की। जन्माष्टमी (Janamastmi 2022) 19 अगस्त, शुक्रवार के मौके पर जानिए भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें क्या सीखना चाहिए…