उज्जैन. इस बार 15 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। वैसे तो बाजार में कई तरह की आधुनिक राखियां उपलब्ध हैं, लेकिन पुराने समय की राखियां बिल्कुल अलग होती थीं। मान्यता है कि पुराने समय में रक्षासूत्र बनाने के लिए रोग प्रतिरोधक औषधियों का उपयोग किया जाता था। रक्षासूत्र बनाने के लिए दूर्वा, केसर, चंदन, सरसों और चावल का उपयोग होता था। इन चीजों को लाल कपड़े में बांधकर एक छोटी सी पोटली बनाई जाती थी। इस पोटली को रेशमी धागे से कलाई पर बांधा जाता था। इस प्रकार बनने वाली राखी को वैदिक राखी भी कहा जाता है।
मौसमी बीमारियां रहती हैं दूर
रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है, ये समय वर्षा ऋतु का है। बारिश के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कई सूक्ष्म कीटाणु वातावरण में पनप जाते हैं। वैदिक राखी से इन कीटाणुओं से बचाव हो सकता है। पुराने समय में इस प्रकार यह सूत्र शरीर की रक्षा भी करता था।