ये माना जाता है कि जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था। तब माता सीता कई सालों तक महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही रही थीं। यहीं पर उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया। यहीं पर उन्हें वन देवी के नाम से जाना गया। इसीलिए महर्षि वाल्मीकि (Valmiki Jayanti 2021) का भी उतना ही महत्व है। जितना रामायण में राम, सीता, लक्ष्मण और बाकी किरदारों का है। हर साल महर्षि वाल्मीकि जयंती पर्व अश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार ये 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।