हाईवे के किनारे मर्दों की तरह ट्रकों की मरम्मत करती है ये महिला, पति की मदद करते-करते बन गई उस्ताद

नई दिल्ली. ट्रक जैसे भारी-भरकम वाहन को संभालने वाले अक्सर पुरूष ड्राइवर ही नजर आते हैं लेकिन क्या आपने एक महिला को ट्रक की मरम्मत करते देखा है। नहीं ? तो आज हम आपको 55 साल की एक जाबांज महिला मैकेनिक के बारे में बताते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2019 7:46 AM IST / Updated: Dec 03 2019, 04:28 PM IST

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हाईवे के किनारे मर्दों की तरह ट्रकों की मरम्मत करती है ये महिला, पति की मदद करते-करते बन गई उस्ताद
महिला सशक्तिकरण का सबसे बेहतरीन उदाहण ट्रक मैकेनिक शांति देवी हैं। देवी भारत की पहली महिला ट्रक मकैनिक हैं जो एशिया के सबसे बड़े ट्रक पार्किंग संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में काम करती है। दिल्ली के इस संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में लगभग एक साथ 70 हजार ट्रक खड़े हो सकते हैं। यहां वो पिछले 20 सालों से ट्रकों की मरम्मत का काम कर रही हैं।
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वह हमारे समाज की इस अवधारणा को तोड़ चुकी हैं कि जो काम पुरुष कर सकते हैं वो काम महिलाएं नही कर सकती। देवी को कोई बड़ा आवार्ड नहीं मिला है, मीडिया ने भी उनकी अनदेखी की है लेकिन राह चलते लोग उन्हें भारी-भरकम ट्रकों की मरम्मत करते देख दंग रह जाते हैं। वह 55 साल की उम्र में भी दिन के 12 घंटे काम करती हैं। इतना ही नहीं वह दिन में कम से कम 10-15 ट्रक के इंजन लगाने से लेकर जरूरी काम तक सब करती हैं।
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इनके काम और जज्बे को देखते हुए लोग प्रेरित होते हैं। उनको 'उस्ताद जी' कहकर बुलाया जाता है। शांति देवी खुद बतलाती हैं कि कैसे समाज ने उन्हें एक ट्रक मैकेनिक के तौर पर घूर-घूरकर देखा है लेकिन उनके पति पूरा सपोर्ट करते हैं।
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20 साल पहले शांति देवी ने संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में चाय की दुकान से शुरुआत की और फिर वही पर उनके पति ने ट्रक मकैनिक की दुकान भी खोल ली। शांति देवी अपने पति की मदद करने लगीं और खुद उस्ताद बन गईं। आज भले ही उनके पास डिग्री न हो लेकिन वो प्रोफेशनल ट्रक मकैनिक है।
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देवी रोज 10-15 ट्रक के टायर का पैंचर लगाती है जबकि टायर का वज़न 50 किलो से ज्यादा है। अब उनको पहचान मिलले लगी है। देवी कॉलेजों में मोटिवेशन स्पीच भी देती हैं। उनका मानना है की औरत हर वो फिजिकल काम कर सकती है जो एक आदमी कर सकता हैं।
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महिलाओं से ही देश बनता है यानि जिस देश की जितनी ज्यादा महिलाए जागरूक और साक्षर होंगी वो देश उतनी जल्दी तरक्की करेगा। डर, तानों और रूढ़िवादियों को पीछे छोड़ महिलाओं के साहस की कहानियों से दूसरे लोगों को भी मोटिवेशन मिलता है।
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