पिता ने चना बेचकर खेसारीलाल को दिए थे एल्बम बनाने के पैसे, सभी हुए फ्लॉप फिर बेटा ऐसे बना स्टार
मुंबई. भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल यादव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनकी कोई फिल्म या फिर गाना आता है तो वो हिट हो जाता है। फैंस उन्हें काफी पसंद करते हैं। इस मुकाम तक पहुंचना खेसारीलाल के लिए आसान बात नहीं थी। वो तीन भाई हैं और चाचा के बच्चों को मिलाकर वे सात भाई हैं। सातों भाइयों की परवरिश उनकी मां ने ही की है।
Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2020 5:07 AM IST / Updated: Mar 01 2020, 12:14 PM IST
खेसारीलाल यादव ने एक इंटरव्यू में अपनी गरीबी के दिनों को लेकर बात की थी। इस दौरान वो गरीबी और मुसीबतों के दिन को यादकर रो पड़ते थे। एक्टर ने बताया था कि उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है। यहां तक उनका जन्म तक पड़ोसी के घर में हुआ है।
खेसारीलाल यादव का मिट्टी का घर था, जो बारिश के दिनों में भी बह जाता था। एक्टर बताते हैं कि उनके पिता परिवार में अकेले कमाने वाले थे। वो चना बेचकर सबका पेट भरते थे।
खेसारीलाल यादव ने स्ट्रगलिंग के दिनों को याद कर बताया कि उनके पिता ने चना बेच बेचकर उन्हें कैसेट बनाने के लिए पैसे दिए। उन्होंने उन पैसों से दो कैसेट बनाए, लेकिन किस्मत में अभी और भी ठोकरें खाने को लिखी थी कि ये भी सुपर फ्लॉप रही थी।
इसके बाद उन्होंने तीसरी कैसेट बनाई, जिसके लिए उनके पिता ने उन्हें 8 हजार रुपए दिए थे। बाकी के पैसे खेसारी ने खुद से इकट्ठा किए। वो बताते हैं कि वे महाभारत और रामायण के गायक थे तो उस वक्त खेसारी स्टेज परफॉर्मेंस किया करते थे, जहां से उन्हें कुछ पैसे मिल जाया करते थे।
स्टेज परफॉर्मेंस करके खेसारी ने बाकी के पैसे जोड़े और 25 हजार में तीसरी कैसेट बनाई, जो कि छपरा, सिवान और गोपालगंज इन तीनों जिलों में खूब बजा। यहीं से खेसारी हिट हो गए और उन्हें काम मिलना शुरू हो गया था।
खेसारी भोजपुरी एल्बम 'माल भेटाई मेला' से हिट हो गए थे। इसके बाद उन्होंने 2012 में पहली फिल्म 'साजन चले ससुराल' साइन की। इस फिल्म में उनके अपोजिट स्मृति सिन्हा ने लीड रोल प्ले किया था। उनकी ये मूवी दर्शकों को खूब पसंद आई।
आज खेसारी लाल यादव की जोड़ी काजल राघवानी के साथ हिट मानी जाती है। फिल्मों में दोनों की शानदार कैमिस्ट्री भी देखने के लिए मिलती है। इन्हें फैंस साथ में देखना पसंद भी करते हैं।