32 साल की दोस्ती का ये सिला; रघुवंश ने लालू यादव पर लगाए टिकट बेचने के आरोप, पहले प्यार अब दिखाए तेवर

पटना। 32 साल की दोस्ती तोड़कर अस्पताल से ही साधारण कागज पर भावुक इस्तीफा भेजने वाले दिग्गज रघुवंश प्रसाद सिंह (RJD Veteran Raghuvansh Prasad Singh) ने बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव (Bihar assembly polls 2020) से पहले अब कड़े तेवर दिखाए हैं। इस्तीफा प्रकरण में पहली बार रघुवंश ने आरजेडी चीफ लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) पर वंशवाद का आरोप लगाते हुए टिकट बेचने का दोष मढ़ा (Raghuvansh blamed RJD Chief Lalu for selling tickets)। 
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 12, 2020 5:53 AM IST
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32 साल की दोस्ती का ये सिला; रघुवंश ने लालू यादव पर लगाए टिकट बेचने के आरोप, पहले प्यार अब दिखाए तेवर

रघुवंश ने भ्रष्टाचार के मामले में रांची में सजा काट रहे लालू को एक चिट्ठी भेजकर लगाए हैं। चिट्ठी शुक्रवार को भेजी गई। रघुवंश ने इस दिन कुल चार चिट्ठियां लिखीं थीं। इसमें से तीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar)के नाम थीं जबकि एक लालू के लिए थी। ये चिट्ठी इस्तीफे से अलग है। 

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चिट्ठी में रघुवंश ने लालू यादव को महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, लोहिया, अंबेडकर एवं कर्पूरी ठाकुर की समाजवादी विचारधार को भूलने के आरोप लगाए। पार्टी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि महापुरुषों ने जिनके खिलाफ समाजवाद को मजबूत किया अब वही बुराइयां पार्टी के भीतर आ गई हैं। अब पार्टी के पोस्टरों पर परिवार के लोगों की ही तस्वीरें लग रही हैं। (रघुवंश के इस्तीफे पर लालू का जवाब )

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जानकारों की नजर में चुनाव से पहले रघुवंश की चिट्ठी के राजनीतिक मायने हैं। रघुवंश की राजनीति में साफ-सुथरी छवि मानी जाती है। वो लालू के बेहद करीबी भी रहे हैं और इस्तीफे में उन्होंने साफ भी किया कि कैसे 32 साल से वो लालू के पीछे मजबूती से खड़े रहे। लेकिन आरजेडी की नई पीढ़ी आने के बाद लगातार उनकी अनदेखी हुई और मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। हालांकि लालू ने भी रिम्स से चिट्ठी का भावुक जवाब देते हुए उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था। इससे पहले नीतीश को लिखी चिट्ठी में रघुवंश ने काबुल से भगवान बुद्ध का भिक्षापात्र लाने समेत वैशाली के महत्व की प्रमुख मांगे की थी। 

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रघुवंश खराब तबियत की वजह से पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के एम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। खबर यह भी है कि उनकी तबियत फिर बिगड़ गई है। उन्हें एम्स के आईसीयू में रखा गया है। इससे पहले उन्हें बिहार में कोरोना हो गया था। कोरोना तो ठीक हो गया मगर उनकी दूसरी बीमारियां ठीक नहीं हुई। वो आरजेडी से इस्तीफा देकर दिल्ली चले गए। 

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दिल्ली में रहने के दौरान पार्टी से नाराजगी बनी रही हालांकि लालू ने उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया था। इस दौरान पार्टी के दिग्गज नेता मनोज झा और तेजस्वी यादव भी उनसे मुलाकात करने एम्स पहुंचे। लालू ने उन्हें मनाने की कोशिश की मगर पार्टी में किनारे लगा दिए गए रघुवंश किसी बात पर मानने को तैयार नहीं लगते हैं।

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रामा सिंह के आरजेडी में आने, सवर्ण आरक्षण को लेकर रघुवंश की लाइन पार्टी से बिलकुल अलग है। यह भी बताते चलें कि रघुवंश की कर्मभूमि वैशाली से ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने चुनाव जीता था और दोबारा यहीं से उनके लड़ने की संभावना है। 

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खबर है कि वो आरजेडी में जा रहे हैं और काफी समय से नीतीश कुमार के संपर्क में हैं। यह भी चर्चा है कि रघुवंश जेडीयू से अपने बेटे को एमएलसी बनाने की मांग कर रहे हैं। राज्यसभा में उपसभापति चुनाव और बिहार चुनाव से पहले एनडीए की कोशिश थी कि रघुवंश को अपने पाले में कर लिया जाए। आरजेडी में रघुवंश के कद का कोई नेता नहीं है। 

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