पुलिस-सरकार हर किसी से सरेआम भिड़ चुके ये बाहुबली, बिहार के कई इलाकों में आज भी इनका खौफ

पटना (Bihar ) ।  बिहार में चुनाव होने वाले हों और राजनीति में सक्रिय बाहुबलियों की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। अधिकांश दल इन्हीं बाहुबली नेताओं के सहारे ज्यादा से ज्यादा सीटों पर गारंटीड जीत का सपना पाले रहती हैं। ये ऐसे बाहुबली चेहरे हैं जिन्होंने खुद के प्रोटेक्शन के लिए राजनीति को ढाल बना लिया है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। हम कुछ ऐसे ही बाहुबलियों के बारे में बता रहे हैं। आज भी कई इलाकों में इनका खौफ है। कभी इनका रसूख ऐसा हुआ करता था कि ये सरकार और पुलिस को कुछ नहीं समझते थे।

Asianet News Hindi | Published : Sep 3, 2020 9:31 AM IST / Updated: Sep 28 2020, 07:25 PM IST

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पुलिस-सरकार हर किसी से सरेआम भिड़ चुके ये बाहुबली, बिहार के कई इलाकों में आज भी इनका खौफ


शहाबुद्दीन ने छोटी उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। जल्द ही लालू यादव का करीबी बनकर राजनीति में भी उतर गया। शहाबुद्दीन के खौफ और राजनीतिक रसूख की चर्चा तब फैली, जब आरजेडी के इस बाहुबली नेता को गिरफ्तार करने पहुंचे पुलिस अफसर को थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद भारी अमले के साथ शहाबुद्दीन को पकड़ने पहुंची पुलिस और उसके गुर्गों के बीच घंटों गोलाबारी हुई थी। दो पुलिसकर्मियों समेत दस लोगों की जान चली गई थी। हालांकि तब भी शहाबुद्दीन पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका था। बाद में नीतीश सरकार आने के बाद उसे जेल भेजा गया। वो अभी भी जेल में है।

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बिहार के बाहुबली नेताओं में अनंत सिंह की भी गिनती होती है। अनंत सिंह को कभी सीएम नीतीश कुमार का बहुत करीबी माना जाता था। लेकिन बाद में दोनों के रिश्ते तल्ख हो गए। एक समय अनंत के खिलाफ कई आपराधिक मामले थे। इनमें हत्या, रंगदारी और अपहरण के 30 मामले दर्ज हैं। अनंत फिलहाल एक मामले में जेल में बंद हैं।
 

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23 जनवरी 2015 को आरा कोर्ट परिसर में बम ब्लास्ट हुआ था। इस बम ब्‍लास्‍ट में एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि तीन अन्‍य लोग घायल हो गए थे। इसी मामले में पूर्व विधायक सुनील पांडेय को प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था। 11 जुलाई 2015 को उनकी गिरफ्तारी हुई थी। बाद में उन्‍हें जमानत मिल गई थी। 2019 में पूर्व विधायक सुनील पांडेय को कोर्ट ने साक्ष्‍य के अभाव में बरी कर दिया। वह दो बार विधायक रह चुके हैं। किडनैपिंग, हत्या जैसे मामलों नाम आया था।

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आनंद मोहन एक जमाने में उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाहुबली कहलाते थे। राजनीति में उनकी एंट्री 1990 में हुई। तब पहली बार सहरसा से MLA बने थे। पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खिया बनीं थी। 2 बार सांसद रहे आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी एक बार सांसद रह चुकी हैं। जेल में सजा काटने के दौरान आनंद ने दो पुस्तकें "कैद में आजाद कलम' और "स्वाधीन अभिव्यक्ति' लिखी, जो प्रकाशित हो चुकी हैं। कैद में आजाद कलम' को संसद के ग्रंथालय में भी जगह दी गई है। बता दें कि गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं। हाई कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
 



 
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1990 के दशक में अपनी दबंगई से खबरों में रहने वाले पप्पू यादव के खिलाफ करीब 17 से ज्यादा आपराधिक मामले बताए जाते हैं। फिलहाल वह जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष हैं। पप्पू यादव पर कानून का शिकंजा तब कसा गया था जब कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या हुई थी। हत्या के आरोप में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। पप्पू यादव कभी लालू यादव के करीबी रहे। कई बार लोकसभा सांसद के रूप में बिहार का प्रतिनिधित्व भी किया। 2015 में लोकसभा में अच्छा काम करने वाले सांसद के रूप में भी उनका नाम शामिल किया गया। अब पप्पू यादव अब पूरी तरह से राजनीति और समाज कार्यों में ही सक्रिय रहते हैं।

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राजन तिवारी पर यूपी और बिहार में हत्या और किननैपिंग के कई मामले सामने आए थे। बिहार से दो बार विधायक रह चुके राजन तिवारी का अपराध की दुनिया से बहुत पुराना नाता है। मूलरूप से गोरखपुर के सोहगौरा निवासी राजन पर किडनैपिंग का मामला 2005 में सामने आया, जिसकी लंबी कानून प्रक्रिया के बाद उन्हें कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है।
 

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