बेटी होने पर परिवार ने किया अलग,अचार बेचने पर समाज से हुई थी बहिष्कृत,कुछ ऐसी है बिहार के किसान चाची की कहानी

मुजफ्फरपुर ( Bihar) । बिहार के आनंदपुर गांव में रहने वाली किसान चाची राजकुमारी देवी से मिलने के लिए उनके घर 12 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आने वाले हैं। वह किसान चाची और 50 अन्य महिला किसानों से उनके कृषि से जुड़े अनुभव सुनेंगे। बता दें कि यह वहीं राजकुमारी देवी हैं, जिनकी शादी मात्र 15 साल की उम्र में कर दी गई थी। शादी के नौ साल बाद भी गोद सूनी होने पर बहुत अत्याचार झेलने पड़े। यहां तक कि इन्हें घर से निकाला दिया गया। बाद में बेटी होने पर अलग कर दिया। वह पति के साथ खेती करके अचार तैयार करने के बाद उसे साइकिल से बेचने बाजार जाने लगीं, जो समाज को मंजूर न था। बताते हैं कि गांव के समाज ने उन्हें बहिष्कृत कर दिया था। इन सब बाधाओं से हार नहीं मानी और एक किसान फिर कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बनाई। बाद में जो लोग पहले ताने देते थे वे सम्मान की नजर से देखने लगे। मौजूदा समय में सीएम, पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक से सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। इतना ही नहीं उनके प्रोडक्ट विदेशों में निर्यात होते हैं।

Ankur Shukla | Published : Sep 9, 2020 2:27 PM IST / Updated: Sep 09 2020, 08:01 PM IST

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बेटी होने पर परिवार ने किया अलग,अचार बेचने पर समाज से हुई थी बहिष्कृत,कुछ ऐसी है बिहार के किसान चाची की कहानी

राजकुमारी देवी का जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था। मैट्रिक पास करने के बाद ही 1974 में उनकी शादी एक किसान परिवार में सरैया प्रखंड के अनंतपुर के अवधेश कुमार चौधरी से हो गई।

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राजकुमारी देवी बताती हैं कि 9 साल तक संतान नहीं हुई तो ससुराल में ताने सहे। 1983 में बेटी पैदा हुई, तब भी ताने ही मिले। 1990 में पति के चार भाइयों में बंटवारा हुआ और उनके हिस्से मात्र ढाई बीघा जमीन आई। 

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राजकुमारी देवी बताती हैं कि वह पति अवधेश कुमार चौधरी के साथ खेती करने लगीं। परिवार में तंबाकू की खेती की परंपरा थी। इसे तोड़ते हुए उन्होंने घर के पीछे की जमीन में फल और सब्जी उगाने के साथ फलों और सब्जियों से अचार-मुरब्बा सहित कई उत्पाद बनाना शुरू किया। इसमें उन्होंने आसपास की महिलाओं को भी सहयोगी बनाया। उनकी मेहनत से अप्रत्याशित परिवर्तन दिखने लगा। परिवार की आमदनी बढ़ गई।

(फाइल फोटो)

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राजकुमारी देवी साइकिल से घूम-घूमकर अचार बेचने लगीं तो गांव वालों ने उन्हें अपने समाज से बहिष्कृत कर दिया। लेकिन, वह हार न मानी और दूसरे गांवों की महिलाओं को भी खेती सिखाई। इससे उन्हें सम्मान और प्रसिद्धि मिलने लगी। उनके काम की सराहना देशभर में होने लगी।

(फाइल फोटो)

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी राजकुमारी की बागवानी को देखने उनके घर गए। कई मेलों और समारोहों में वे सम्मानित हुईं। राज्य सरकार ने 2006 में उन्हें किसानश्री सम्मान दिया। तब से लोग उन्हें किसान चाची कहने लगे।

(फाइल फोटो)

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सितंबर, 2013 में वे अहमदाबाद के शिल्प, लघु उद्योग मेले में अपने उत्पाद के साथ पहुंचीं तो गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी भी उनसे मिले और उनकी प्रशंसा की। उनका वीडियो गुजरात सरकार ने अपनी वेबसाइट पर भी डाला था। बाद में पीएम बनने पर भी उनकी तारीफ की थी।
(फाइल फोटो)

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 2015 और 2016 में अमिताभ बच्चन ने केबीसी में बुलाया था। जहां किसान चाची ने बताया कि वह 250 महिलाएं जुड़ी हैं, जो अचार-मुरब्बा तैयार करती हैं। अब वह साइकिल के बजाए स्कूटी से चलती हैं। उनके प्रोडक्ट विदेशों में निर्यात होते हैं। 

(फाइल फोटो)

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किसान चाची की बेटी प्रीति भी स्नातक करने के बाद खेती में उनका हाथ बंटा रही है। मां-बेटी दुधारू पशु रखकर दूध का व्यवसाय भी कर रही हैं। 2019 में पूरे बिहार में कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने की वजह से राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने पद्मश्री से किसान चाची को सम्मानित किया था। 

(फाइल फोटो)

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