बिहार चुनाव से पहले झटका,रघुवंश के निधन से फंस गए लालू के लाल,टेंशन में राजद सुप्रीमो,नहीं कर रहे किसी से बात

Published : Sep 13, 2020, 06:35 PM IST

पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly elections ) के पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) के निधन से राजद को बड़ा झटका लग गया है। अपने हनुमान के अब न होने की खबर सुनकर लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) टेंशन में आ गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक वह इतने दुःखी हो गए हैं कि किसी से बात तक नहीं कर रहे हैं। वहीं, सबसे बड़ा संकट नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के सामने आ गया है, क्योंकि चुनावी बेला में उनके सामने एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जी हां वे जिस मकसद से लोजपा के पूर्व सांसद रामा सिंह (Rama Singh ) को लाने के प्रयासों के चलते पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह को नाराज तक कर दिए, वह भी पूरा होते नहीं दिख रहा है। वजह, रामा सिंह को अभी विधिवत रूप से जोड़ा भी नहीं जा सका है और पहले ही कई धुरंधरों का मोह भंग हो चुका है। जिन्हें विपक्षी दल टिकट देकर मैदान में उतार रहे हैं। ऐसे में सीधी क्षति तेजस्वी यादव को हो सकती है।

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बिहार चुनाव से पहले झटका,रघुवंश के निधन से फंस गए लालू के लाल,टेंशन में  राजद सुप्रीमो,नहीं कर रहे किसी से बात


राजद में रहते हुए रघुवंश प्रसाद से ज्यादा फायदे की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। लेकिन, उनके जाने से नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। मंच और पोस्टर पर रघुवंश के रहने भर से ही राजद की छवि समाजवादी हो जाती थी। आलोचकों के तर्क कुंद पड़ जाते थे, क्योंकि रघुवंश पर कभी भ्रष्टाचार या गुंडागर्दी का आरोप नहीं लगा था। यही नहीं, कार्यकर्ताओं के दिल से जातिवाद की जटिलता ढीली पड़ जाती थी। 
 

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तेजस्वी यादव अपनी पार्टी के एकमात्र स्टार प्रचारक होंगे। उन्हें प्रदेश की सभी 243 सीटों के लिए रणनीति बनानी है। अमल कराना है और  प्रचार करना है। राजद प्रत्याशियों के साथ-साथ महागठबंधन के अन्य घटक दलों का भी ख्याल रखना है। 
 

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नाराज होकर राजद का साथ छोड़ने वाले भोला राय और पंछीलाल राय की जोड़ी तेजस्वी को अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में ही घेर सकती है, क्योंकि दोनों में से किसी एक को जदयू का प्रत्याशी भी बनाया जा सकता है। ऐसे में लड़ाई बहुत बड़ी और कड़ी हो जाएगी।

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राजद के रणनीतिकारों की मानें तो बाहुबली रामा सिंह की राघोपुर में अच्छी पकड़ मानी जाती है। लेकिन, रामा के विरोध के बीच रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन से भी असर पड़ेगा। इससे में राजद उनकी जल्द इंट्री नहीं कराना चाहेगा। हालांकि चुनावी बेला में कुछ भी संभव है।

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बताते चले कि राघोपुर में 2010 की लड़ाई में राबड़ी देवी एक नए कार्यकर्ता सतीश कुमार से हार चुकी हैं। जाहिर है, तेजस्वी को भी घर में ही घेरकर रखने का प्रबंध विपक्षी दलों ने कर लिया है। वहीं, तेज प्रताप के खिलाफ उनकी पत्नी ऐश्वर्या को भी उतारने की तैयारी चल रही है, जिसके चलते लालू के दोनों बेटों को संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
 

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रघुवंश प्रसाद के निधन खबर से रांची में रिम्स के केली भवन में इलाजरत लालू प्रसाद शोक में डूबे हुए हैं। काफी मर्माहत नजर आ रहे हैं। जब से खबर सुनी है तब से किसी से बात नहीं कर रहे। चुपचाप बैठे हुए हैं। बता दें कि तीन दिन पहले ही उन्होंने रघुवंश बाबू के पार्टी से इस्तीफे को नामंजूर करते हुए चिट्ठी लिखकर कहीं नहीं जाने का आग्रह किया था।


 

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