गलत पढ़ाने पर प्रोफेसर को टोक देते थे वशिष्ठ नारायण,31 कंप्यूटर के जैसा चलता था दिमाग,ऐसे बने थे महान गणितज्ञ

पटना (Bihar) । आइंस्टीन (Einstein) के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Mathematician Vasistha Narayan Singh) भले ही हमारे बीच नहीं है। लेकिन, आज भी उनके दिमाग का लोहा पूरा विश्व मानता है। कहा तो यहां तक जाता है कि बिहार के इस लाल ने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी। उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता था। ये तब साबित हुआ था, जब नासा द्वारा अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर्स कुछ समय के लिए बंद हो गए थे। कंप्यूटर के ठीक होने तक उन्होंने जो गणना की थी वो कंप्यूटर ठीक होने पर पता चला कि दोनों का कैलकुलेशन (Calculus) एक था। इतना ही नहीं वह प्रोफेसर (Professor) द्वारा गलत पढ़ाने पर उन्हें टोक दिया करते थे। बता दें कि पिछले साल उनका 74 साल की उम्र में निधन हो गया था। वे कई सालों से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) से पीड़ित थे और उनका पूरा जीवन संषर्षों और दुःखों से भरा रहा।

Asianet News Hindi | Published : Sep 11, 2020 1:47 PM IST / Updated: Sep 15 2020, 07:34 PM IST
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गलत पढ़ाने पर प्रोफेसर को टोक देते थे वशिष्ठ नारायण,31 कंप्यूटर के जैसा चलता था दिमाग,ऐसे बने थे महान गणितज्ञ

बिहार के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 को जन्में वशिष्ठ नारायण सिंह गणित में तेज थे। वह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वे गलत पढ़ाने पर अपने गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे। इसकी जानकारी जब कॉलेज के प्रिंसिपल को मिली तो उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखने के लिए उनकी अलग से परीक्षा ली। इस परीक्षा में उन्होंने सारे एकेडमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए।
 (फाइल फोटो)

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बताते हैं कि उनकी कहानी अमेरिका के महान गणितज्ञ जॉन नैश से मिलती जुलती है, जिनके ऊपर हॉलीवुड में एक शानदार मूवी बनी है- अ ब्यूटीफुल माइंड। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन एल. केली ने उन्हें आर्यभट्ट की परंपरा का गणितज्ञ कहा करते थे। 
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वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखते हुए पटना विश्वविद्यालय ने अपना नियम तक उनके लिए बदल दिया था। डॉ एनएस नागेंद्रनाथ (जिन्होंने सीवी रमण के साथ काम किया था) ने उन्हें एक साल में बीएससी और एक साल में एमएससी की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी। 
 

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कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन एल. केली उन्हें अमेरिका गए और कोलंबिया के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटेक्सि में पढ़ाया था। जिसके बाद वे 1969 में नासा का अपोलो मिशन लॉन्च हुआ था। जिसमें उन्होंने काम किया था और अपने कारनामे से दुनिया भर की मीडिया में छा गए थे।
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वशिष्ठ की शादी 1973 में वंदना रानी सिंह के साथ हुई। वह अपनी पत्नी के साथ अमेरिका चले गए थे। बताते हैं कि कुछ समय बाद उन्हें वशिष्ठ की मानसिक बीमारी के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने तलाक ले लिया।
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वशिष्ठ नारायण साल 1971 में भारत लौट आए थे। इसके बाद उन्होंने पहले आईआईटी कानपुर, बॉम्बे, और फिर आईएसआई कोलकाता में नौकरी की थी।
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एक बार वशिष्ठ नारायण अपने भाई के साथ रहने के लिए पुणे जा रहे थे। लेकिन, अचानक ट्रेन से गायब हो गए। उन्हें खूब तलाशा गया, मगर नहीं मिले। चार साल के बाद अपनी पूर्व पत्नी के गांव के पास मिले। तब से घरवाले इन नजर रख रहे थे और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। जिसके बाद वह चर्चा में आए।
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पटना के कुल्हड़यिा कॉम्पलेक्स में अपने भाई के एक फ्लैट में गुमनामी का जीवन बिताते रहे और पिछले साल 14 नवंबर 2019 को उनका निधन हो गया था। महान गणितज्ञ के अंतिम समय तक किताब, कॉपी और पेंसिल ही उनके सबसे करीब रहें। 
(फाइल फोटो)

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