चांद छूने बिहार से बढ़ रहा ये मजबूत हाथ, इस शख्स के भी जिम्मे है चंद्रयान मिशन की बड़ी जिम्मेदारी

पटना (Bihar) । बिहार में 243 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच एशियानेट हिन्दी न्यूज अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करा रहा है। इसमें राजनीति से अलग राज्य की उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में जानकारी दी जा रही है जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। आज की कहानी जिस 'बिहार के लाल' की है वो वैज्ञानिक हैं और देश के चंद्रयान मिशन में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 6, 2020 9:09 AM IST / Updated: Oct 06 2020, 03:23 PM IST

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चांद छूने बिहार से बढ़ रहा ये मजबूत हाथ, इस शख्स के भी जिम्मे है चंद्रयान मिशन की बड़ी जिम्मेदारी

इनका नाम अभिताभ हैं, जो पहली बार बड़े पैमाने पर लोगों ने इन्हें तब जाना जब पिछले साल इसरो का चंद्रयान 2 मिशन चर्चा में रहा। हालांकि भारत एकदम नजदीक जाकर उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया क्योंकि बिल्कुल आखिरी वक्त में चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम क्रैश हो गया। मगर इसरो के वैज्ञानिकों ने दुनिया को दिखा दिया कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत की ताकत किसी से कम नहीं है। चंद्रयान मिशन में सिर्फ अमिताभ की वजह से लोगों ने बिहार का योगदान भी जान लिया। चंद्रयान 2 के लिए इसरो की टीम में शामिल रहे अमिताभ फिलहाल चंद्रयान के तीसरे मिशन के लिए भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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अमिताभ का घर बिहार के समस्तीपुर जिले के कुबौली गांव में हैं। वो चंद्रयान मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पूरे बिहार को अपने इस लाल पर गर्व है। वैज्ञानिक की पत्नी डॉ. ममता सिंह सीनियर डॉक्टर हैं। 

(प्रतीकात्मक फोटो)

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अपनी टीम में अमिताभ एक गजब और अलग तरह के डेडिकेशन के लिए मशहूर हैं। प्रोजेक्ट को लेकर वो हर वक्त चौकन्ने रहते हैं। कई-कई घंटों लैब में काम करते हैं। इस दौरान बाहर की दुनिया से उनका कोई मतलब नहीं रहता। उनकी पत्नी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके लिए प्रोजेक्ट ही देशसेवा है और काम के दौरान वो परिवार को भूल जाते हैं। मोबाइल फोन भी इस्तेमाल नहीं करते। 

(प्रतीकात्मक फोटो)

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अमिताभ को बचपन से ही इंजीनियरिंग में दिलचस्पी थी। घरवालों ने बताया था कि वो बचपन में अक्सर रेडियो और दूसरे उपकरण खोलकर जोड़ने लगते। बाद में उनका यही शौक उन्हें इंजीनियरिंग की ओर लेकर गया। अमिताभ, एएन कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी तक की पढ़ाई की। (प्रतीकात्मक फोटो)

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इसके बाद एमटेक के लिए बीआईटी मेसरा चले गए। यहां पढ़ाई के दौरान प्रोजेक्ट वर्क के लिए उन्होंने इसरो के तीन केन्द्रों में अप्लाई किया था। 2002 में उन्हें जोधपुर सेंटर से बुलावा आ गया और वो वहीं चले गए। अमिताभ ने 2008 में चंद्रयान-वन मिशन में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर भूमिका निभाई थी। (प्रतीकात्मक फोटो)

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अब अमिताभ चंद्रयान 3 के लिए जुटे हुए हैं। बिहार समेत पूरा देश इंतजार कर रहा है कि इस मिशन के जरिए चंद्रमा पर देश के वैज्ञानिकों का नाम हो। (प्रतीकात्मक फोटो)

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पटना (Bihar) । बिहार में 243 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच एशियानेट हिन्दी न्यूज अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करा रहा है। इसमें राजनीति से अलग राज्य की उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में जानकारी दी जा रही है जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। आज की कहानी जिस 'बिहार के लाल' की है वो वैज्ञानिक हैं और देश के चंद्रयान मिशन में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 
 
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