IAS बनने तक शादी न करने की कसम खाई तो परेशान हो गए मां-बाप,पहले बनी इंजीनियर,फिर 3 प्रयास में सपना हुआ साकार

पटना (Bihar) । बिहार में प्रतिभाशालियों की कमी नहीं है। इनमें एक हैं आईएएस अभिलाषा, जो अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष की और अब आधी आबादी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई हैं। जी हां बिहार की इस बेटी ने आईएएस बनने तक शादी न करने की कसम खाई तो परिवार के लोग परेशान हो गए थे, जिन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर बेटी ने पढ़ाई की। पहले इंजीनियर बनी फिर, नौकरी करते हुए तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। आइये जानते हैं बिहार के लाल के तहत इस बेटी के सफलता की पूरी कहानी।

Asianet News Hindi | Published : Nov 4, 2020 1:02 PM IST / Updated: Nov 08 2020, 01:21 PM IST

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IAS बनने तक शादी न करने की कसम खाई तो परेशान हो गए मां-बाप,पहले बनी इंजीनियर,फिर 3 प्रयास में सपना हुआ साकार

बिहार की अभिलाषा ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए तो संर्घष किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि किसी तरह अपने मां-बाप को शादी न करने के लिए मनाया था। साथ ही उन्हें समय-समय पर ऐसे रिजल्ट्स देती रही, ताकि उन्हें लगे की उनका निर्णय गलत नहीं है।
 

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अभिलाषा हमेशा से एक ब्राइट स्टूडेंट थी। उनकी स्कूलिंग पटना से हुई और क्लास दसवीं में उन्होंने सीबीएसई में टॉप किया था। 12वीं में उनके 84 प्रतिशत अंक हासिल की थी। स्कूल के बाद अभिलाषा ने इंजीनियरिंग एग्जाम्स की तैयारी शुरू कर दी और परीक्षा पास करके ए. एस पाटिल कॉलेज महाराष्ट्र से बीटेक की थी।
 

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अभिलाषा खेल-कूद में भी हमेशा आगे रहीं। बीटेक के बाद अभिलाषा ने नौकरी कर ली और अपने सारे प्रयासों के दौरान वे हमेशा जॉब में रहीं। अभिलाषा कहती हैं वे कैंडिडेट जिनके पास टाइम की लग्जरी होती है उन्हें इसका गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। आपको समय मिल रहा है तो उसका जमकर इस्तेमाल करें और सही दिशा में करें। कुछ लोगों के पास इसकी बहुत कमी होती है।

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अभिलाषा ने अपना पहला अटेम्पट साल 2014 में दिया था, जब उनका प्री में भी नहीं हुआ था। इसके बाद उन्होंने अगले साल परीक्षा नहीं दी और अपनी तैयारी पक्की की। पहले अटेम्पट में अभिलाषा प्री में भी सेलेक्ट नहीं हुई थी। दूसरे में उनका सेलेक्शन हुआ और रैंक मिली 308 इससे उनका सेलेक्शन आईआरएस सेवा के लिए हुआ। लेकिन, वो इतने से संतुष्ट नहीं थी। उन्होंने फिर कोशिश की और फिर अपने तीसरे अटेम्पट में 18वीं रैंक पाकर अपने बचपन के सपने को साकार कर दिखाया। 
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिलाषा बताती हैं कि कम्यूटर पर काम करने के समय में भी वे फोन पर पढ़ाई करती थीं, इस प्रकार टेक्नोलॉजी ने उनकी बहुत मदद की। अंत में अभिलाषा की यही सलाह है कि लोगों की बात न सुनें अपने आप से ईमानदार रहें, बस इतना ही जरूरी है। 

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