राजनीति में न आते तो DSP बनते रामविलास पासवान, पहले ही प्रयास में बन गए थे विधायक

पटना (Bihar) । लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan ) का निधन हो गया। जिनके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। जी हां, हॉस्टल में रहते हुए उन्हें फिल्म देखने का चस्का भी खूब लगा था। बताते हैं कि घर से आए अनाज के कुछ हिस्से को सामने के दुकानदार के पास बेचकर फिल्म का शौक भी पूरा करते थे। लेकिन, पढ़ाई से समझौता नहीं करते थे। वे डीएसपी की परीक्षा में पास भी हो गए थे। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन उनके साथ कुछ ऐसाा हुआ कि वो नेता बन गए। फिर की पीछे मुड़कर नहीं देखे और आज राजनीति में अलग पहचान बना लिए थे।

Asianet News Hindi | Published : Oct 9, 2020 4:32 AM IST / Updated: Oct 11 2020, 08:20 AM IST
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राजनीति में न आते तो DSP बनते रामविलास पासवान, पहले ही प्रयास में बन गए थे विधायक

खगड़िया में एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने एमए और एलएलबी करने के बाद ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। उनका चयन डीएसपी के पद पर भी हो गया था। इसी समय वो समाजवादी नेता राम सजीवन के संपर्क में आए और राजनीति का रुख कर लिया। वो जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से भी जुडे़।
 

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बताते हैं कि साल 1969 उनके गृह जिला खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना था और वह घर जाने की बजाय सीधे टिकट मांगने सोशलिस्ट पार्टी के दफ्तर में पहुंच गए। उस समय कांग्रेस के खिलाफ लड़ने के लिए कम ही लोग तैयार हुआ करते थे। सो टिकट मिल भी गया और वे जीत भी गए। इसके बाद पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
 

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साल 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े और सबसे अधिक 4.24 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का विश्व रिकॉर्ड बना लिया। 1989 में इसी सीट से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान बनाया। बाद में उनका ये रिकॉर्ड भी नरसिम्हा राव समेत दूसरे नेताओं ने तोड़ा। हालांकि, चुनावी जीत का रिकॉर्ड कायम करने वाले पासवान उसी हाजीपुर से 1984 में हारे भी थे। 

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राम विलास पासवान ने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। इसके पहले दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी। साल 2009 में भी उन्हें रामसुंदर दास जैसे बुज़ुर्ग समाजवादी ने यहां पर हराया था। 

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16वीं लोकसभा में उन्होंने हाजीपुर से चुनाव जीता और संसद पहुंचे। हालांकि, 17वीं लोकसभा का चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा, बल्कि राज्यसभा से संसद पहुंचे। वो वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल रहे।

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