इसी सपने को लेकर 1973 में वो मुंबई चले आए। मुश्किल हालात और कारीबारी प्रतिद्वंद्विता के बीच उन्होंने यहां अपनी कंपनी "एल्केम लेबोरेटरीज" (Alkem Laboratories) की नींव डाली। शुरू के सालों में उन्हें बेहद मुश्किल संघर्ष करना पड़ा। लेकिन उनका संघर्ष 1989 में रंग लाया। ये साल उनकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण साल है। दरअसल, उनकी कंपनी ने "एंटी बायोटिक कंफोटेक्सिम का जेनेरिक वर्जन टैक्सिम" बना लिया।