किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं ये 7 विधानसभा सीटें, 1000 से भी कम मतों से हुआ था हार-जीत का फैसला

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों के तहत 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इस बार चुनाव का पेंच काफी उलझा हुआ है। राजनीति और गठबंधनों का स्वरूप ही कुछ इस तरह है कि किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाना मुमकिन नहीं है। दरअसल, पिछली बार बिहार के बड़े दलों के गठबंधन का स्वरूप अलग था। पिछली बार महागठबंधन में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस शामिल थीं। इस बार महागठबंधन में आरजेडी कांग्रेस के साथ सीपीआई एमएल, सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं। इसी तरह एनडीए में इस बार बीजेपी, वीआईपी और हम के साथ जेडीयू है। एलजेपी अकेले चुनावी मैदान में हैं। 2015 में गठबंधन के बदले स्वरूप में 7 विधानसभा सीटों पर बहुत रोचक मुक़ाबला हुआ था। ये बिहार की वो सीटें हैं जहां 1000 से भी कम मतों से हार जीत का फैसला हुआ। बदले राजनीतिक माहौल में इन 8 विधानसभा सीटों के नतीजे किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं। ये सीटें बताती हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक वोट की कीमत क्या होती है। आइए जानते हैं बिहार की इन सीटों के नतीजों के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2020 9:49 AM IST / Updated: Nov 09 2020, 01:38 PM IST
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किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं ये 7 विधानसभा सीटें, 1000 से भी कम मतों से हुआ था हार-जीत का फैसला

तरारी में 272 मतों से हुआ था फैसला 
2015 के चुनाव में बिहार की तरारी विधानसभा सीट पर सिर्फ 272 मतों से फैसला हुआ था। तरारी सीट भोजपुर जिले में आती है। सीपीआई एमएल के प्रत्याशी सुदामा प्रसाद ने एलजेपी की गीता पांडे को सिर्फ 272 मतों शिकस्त दी थी। यहां कुल 14 प्रत्याशी थे। सुदामा को 44, 050 वोट और गीता पांडे को 43,778 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को 40,957 वोट मिले थे। 

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चनपटिया में 464 वोट से हुआ था फैसला 
पश्चिम चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट पर 2015 में 10 प्रत्याशी थे। बीजेपी के प्रकाश राय ने 464 मतों से जेडीयू के एएन शाही को हराकर ये सीट जीती थी। प्रकाश राय को 61,304 जबकि शाही को 60,840 मिले थे। 

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बरौली में 504 वोट से हुआ था फैसला 
गोपालगंज जिले की बरौली विधानसभा सीट पर 2015 में 17 उम्मीदवार मैदान में थे। यहां आजेडी के मोहम्मद नेमतुल्लाह ने बीजेपी के रामप्रवेश राय को 504 वोटों से पराजित किया था। नेमतुल्लाह को 61,690 वोट जबकि रामप्रवेश को 61,186 मिले थे। 

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आरा में 666 मतों से हुआ था फैसला 
भोजपुर जिले की आरा विधानसभा सीट पर 666 मतों से हारजीत का फैसला हुआ था। कुल 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। आरजेडी के मोहम्मद नवाज आलम ने बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप को हराकर ये सीट जीती थी। नवाज आलम को 70,004 वोट और अमरेंद्र प्रताप को 69,338 वेट मिले थे। 

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चैनपुर में 671 वोट से हुआ था फैसला 
भभुआ जिले की चैनपुर विधानसभा सीट पर 2015 में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। बीजेपी के बृजकिशोर बिंद ने बीएसपी के मोहम्मद जमा खान को 671 मतों से हराकर ये सीट जीती थी। बीजेपी प्रत्याशी को 58,913 वोट जबकि बीएसपी प्रत्याशी को 58,242 वोट मिले थे। जेडीयू केई महाबली सिंह 30,242 वोट के साथ तीसरे नंबर पर थे। 

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बनमनखी में 708 मतों से हुआ था फैसला 
पूर्णिया जिले की बनमनखी विधानसभा सीट 2015 में 18 प्रत्याशी थे। बीजेपी के कृष्ण कुमार ऋषि ने 708  मतों से आरजेडी के संजीव पासवान को हराकर ये सीट जीती थी। ऋषि को 59,053 वोट जबकि पासवान को 58,345 वोट मिले थे। 
 

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झंझारपुर में 834 मतों से हुआ था फैसला   
मधुबनी जिले के झांझरपुर विधानसीट पर 2015 में 18 प्रत्याशी थे। आरजेडी के गुलाव यादव ने बीजेपी के नीतिश मिश्रा को 834 मतों से हराकर ये सीट जीती थी। गुलाब यादव को 64,320 वोट जबकि नीतीश मिश्रा को 63,486 वोट मिले थे। 
 

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