इस बार नहीं है प्रशांत किशोर का साथ, बिहार चुनाव में ये 6 लोग हैं सीएम नीतीश कुमार के सेनापति

पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में इस बार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के साथ नहीं हैं। बता दें कि वह चुनावी रणनीति बनाने में माहिर माने जाते रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने ये जिम्मेदारी अपने 6 विश्वास पात्र नेताओं को दे दी है, जो इस चुनाव में जदयू (JDU) के सेनापति के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जिनके बारे में आज हम आपको विस्तार से बता रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2020 7:21 AM IST

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इस बार नहीं है प्रशांत किशोर का साथ, बिहार चुनाव में ये 6 लोग हैं सीएम नीतीश कुमार के सेनापति

बताते चले कि प्रशांत किशोर कभी जदयू के उपाध्यक्ष और चुनाव रणनीतिकार हुआ करते थे। लेकिन, इस बार वो चुनाव के मौके पर सीन से गायब हैं। 11 जुलाई को उन्होंने अंतिम बार कहा था कि नीतीश जी ये चुनाव नहीं कोरोना से लड़ने का वक्त है। लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए।

(फाइल फोटो)
 

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वशिष्ठ नारायण सिंह जेडीयू के प्रदेश अध्‍यक्ष हैं और कार्यकर्ताओं के लिए दादा हैं। बताया जाता है कि जेडीयू के जो नेता-कार्यकर्ता मुलाकात कर नीतीश कुमार तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाते, वे वशिष्‍ठ नारायण सिंह के माध्‍यम से ही अपनी बात पहुंचाते हैं।
 

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मुंगेर से सांसद लल्लन सिंह सीएम नीतीश कुमार के काफी विश्वास पात्र हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव यादव को चारा घोटाला की लपेट में लेकर बिहार की राजनीति से दूर करने और नीतीश कुमार रास्ता सरल करने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। बता दें कि इन्हें नीतीश कुमार के आंख-कान तक माना जाता है। इस समय वह नेताओं से जोड़-तोड़ व सीट शेयरिंग में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
 

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आरसीपी सिंह राज्‍यसभा सांसद हैं। लेकिन, उनके पास प्रशासनिक अनुभव काफी अच्छा है। इस बार विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों से बातचीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। 
 

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विजय चौधरी बिहार विधानसभा के अध्यक्ष हैं। माना जाता है कि जीतनराम मांझी को जेडीयू से जोड़ने में उनकी बड़ी भूमिका रही। जेडीयू के प्रत्‍याशी चयन में उनकी अहम भूमिका है। 
 

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अशोक चौधरी जेडीयू के कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाए गए हैं। नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है। वे पार्टी के दलित चेहरा भी हैं। साथ ही वे कुशल रणनीतिकार, सांगठनिक क्षमता में बेजोड़ माने जाते हैं। 

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संजय झा की जेडीयू को महागठबंधन से अलग कराने, फिर एनडीए में बीजेपी के साथ करने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी। उन्हें सोशल मीडिया में पार्टी और सरकार की मजबूती की जिम्मेदारी दी गई है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी की वर्चुअल की सफलता का श्रेय इन्‍हीं को जाता है। उनकी दिल्‍ली की राजनीति में मजबूत पकड़ रही है।

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