मंत्रियों से भी ज्यादा इन IAS-IPS अफसरों पर भरोसा करते हैं CM नीतीश, रिटायरमेंट के बाद भी कई साथ

पटना। हाल ही में बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Ex DGP Gupteshwar Pandey) ने नौकरी छोड़कर जेडीयू जॉइन कर ली और अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है। गुप्तेश्वर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के बेहद कारीबी IPS अफसरों में शुमार हैं। बिहार सरकार में पूर्व डीजीपी के अलावा ऐसे अफसरों की फेहरिस्त बहुत लंबी है जो नीतीश के भरोसेमंद हैं। इतने कि अपने मंत्रियों से भी ज्यादा नीतीश इन अफसरों पर ही भरोसा करते हैं। अफसरों के साथ नीतीश का ये तालमेल लंबे वक्त से बिहार का मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहना है। गुप्तेश्वर के जेडीयू (JDU) में आने के साथ ही नीतीश का अफसरों संग रिश्ता फिर से चर्चा में है।   
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2020 8:42 AM IST

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मंत्रियों से भी ज्यादा इन IAS-IPS अफसरों पर भरोसा करते हैं CM नीतीश, रिटायरमेंट के बाद भी कई साथ

2005 में नीतीश कुमार ने बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बनाई थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद देखें तो कई मौकों पर उन्होंने पार्टी नेताओं से ज्यादा अफसरों पर भरोसा किया है। राज्य के शक्तिशाली अफसरों (Powerful IAS IPS Officers In Bihar) के साथ नीतीश की यह ट्यूनिंग कई बार सार्वजनिक भी दिखी है और यह भी पता चला कि उन्होंने मंत्रियों की बजाय अपने अफसरों पर ज्यादा भरोसा किया। यहां तक कि कई अफसर, रिटायरमेंट के बाद भी नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे हैं। 
 

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इस कड़ी में 2019 में बिहार के राज्यमंत्री महेश्वर हजारी (Maheshwar Hazari) का मामला दिलचस्प है। दरअसल, सितंबर 2019 तक हजारी के पास आवास मंत्रालय था। इस विभाग में सेक्रेटरी चंचल कुमार (Chanchal Kumar) थे। नीतीश के रेलमंत्री रहने के दौरान से ही चंचल का उनके साथ रिश्ता बन गया जो बाद में और मजबूत हो गया। आवास मंत्रालय में हजारी और चंचल के बीच कई चीजों पर मतभेद था। हजारी को आवास मंत्रालय से दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ा। 

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बिहार की पूर्व मुख्य सचिव अंजनी सिंह (Anjani Singh) भी नीतीश के भरोसेमंद अफसरों की लिस्ट में रही हैं। वो 2018 में रिटायर हो गई थीं। लेकिन उन्हें रिटायरमेंट के बाद मुख्यमंत्री का सलाहकार बना दिया गया। आरसीपी सिन्हा (IAS RCP Sinha) भी ऐसे ही एक और आईएएस अफसर थे को नीतीश के करीबी थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें रिटायरमेंट के बावजूद राज्यसभा सांसद बनाकर अपने करीब ही रखा। 

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बिहार सरकार में अमीर सुभानी (Amir Subhani) और प्रत्यय अमृत (Prtayay Amrit) भी ऐसे ही भरसेमंद अफसरों की फेहरिस्त में शामिल बताए जाते हैं। सुभानी 10 साल से ज्यादा समय से गृह विभाग का काम देख रहे हैं। निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम के लिए मुख्यमंत्री अमृत पर भरोसा करते हैं। 

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मुख्यमंत्री के भरोसेमंद आईएएस अफसरों में आनंद किशोर (IAS Anand Kishor) भी शामिल हैं। जल निकासी सिस्टम में जब सुधार की जरूरत महसूस हुई नीतीश ने उन्हें शहरी विकास विभाग में भेजा। दरअसल, पटना में बाढ़ की वजह से नीतीश को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। नीतीश के पास भरोसेमंद अफसरों की लिस्ट बहुत लंबी हैं।  

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दरअसल, अफसरों पर नीतीश के भरोसा के पीछे कई वजहें हैं। एक बड़ी वजह यह भी है कि अफसरों ने नीतीश को कई बार मुश्किलों से निकाला है। माना जाता है कि अफसरों की काबिलियत की वजह से ही नीतीश की छवि सुशासन बाबू के रूप में मजबूत हुई। 

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दूसरी वजह यह है कि नीतीश मंत्रियों या नेताओं पर एक हद से ज्यादा इसलिए भी भरोसा नहीं करते क्योंकि सरकार या पार्टी में अपने सामने दूसरे बड़े चेहरे को वो नहीं दिखाना चाहते। अफसरों के मुक़ाबले मंत्रियों को कम तवज्जो देने की वजह नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश है। अफसरों से राजनीतिक बगावत का खतरा तो बिल्कुल ही नहीं रहता है। 

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अगर नीतीश की राजनीति देखें तो जब भी उन्होंने पार्टी नेताओं पर ज्यादा भरोसा कर उन्हें आगे बढ़ाया वो मुश्किल में फंसते नजर आए हैं। वो चाहे जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) को अपनी जगह मुख्यमंत्री की गद्दी सौंपने के बाद की स्थिति हो या प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को पार्टी में अहम ज़िम्मेदारी देना। 

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दोनों नेताओं ने सरकार और पार्टी की सत्ता मिलने के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को भी नीतीश ने एक समय काफी प्रमोट किया। बदले में उन्हें यहां भी बगावत का सामना करना पड़ा। 

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