Published : Jul 08, 2020, 09:25 AM ISTUpdated : Jul 08, 2020, 09:30 AM IST
गया (Bihar) । पांच दोस्तों में पेंटिंग का शौक ऐसा जुनून बना की वे उपेच्छित पड़े सरकारी स्कूलों को सजाने सवारने में जुट गए। लॉकडाउन में कड़ी मेहनत करके इन छात्रों ने सरकारी स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूलों की टक्कर में ला दिया। जिसे देखने के बाद जिला प्रशासन ने शिक्षा विभाग से इन्हें प्रोत्साहित किया तो और स्कूलों को संवारने के काम में ये जुट गए हैं। मौजूदा समय में पांच दोस्तों ने मिलकर प्रवासी मजदूरों की मदद से गया के तीन सरकारी स्कूलों की कायाकल्प कर दिया है। जिसे देखने वाला हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। वहीं, शिक्षा विभाग का कहना है कि कोरोना के बाद जब स्कूल खुले तो बच्चे कुछ सीख सके के लिए इन स्टूडेंटों की मदद ली जा रही है।
अबतक इन पांचों ने मिलकर जिले के तीन स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है। अबतक इन पांचों ने मिलकर जिले के तीन स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है।
26
ये पांच दोस्त रोशनी टांक, श्रेया जैन, राधा कुमारी, खुशबू कुमारी एवं विवेक टांक हैं, जिन्होंने अपने के पेंटिंग शौक को आजकल जुनून में बदल कर रख दिया है। इन सभी ने मिलकर पूरे स्कूल को विभिन्न आकृतियों से पाट दिया है।
36
अबतक इन पांचों ने मिलकर जिले के तीन स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है। इनका यह अभियान लगातार जारी है। जिले के अन्य प्रखंडों में इनके जैसे और भी पेंटिंग में रुचि रखने वाले छात्र- छात्राओं ने स्कूल की बिल्डिंग एवं क्लास का रूप बदलकर रख दिया है।
46
रोशनी टांक का कहना है कि शुरू में इस कार्य को करने में बड़ी मुश्किलें सामने आईं। कम उम्र एवं अनुभव कम होने के कारण उन्हें दिक्कत हुईं। बिना किसी बड़े व्यक्ति की मदद लिए सभी ने जीतोड़ मेहनत कर इस कार्य को अंजाम दिया।
56
छात्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें इस कार्य को करने का आदेश मिला और उसी आदेश के तहत इन्होंने अपनी कला के बदौलत स्कूल में पेंटिंग की है। इनका यह कहना है कि ये प्रोफेशनल लेवल पर पेंटिंग नहीं करते हैं। केवल पेंटिंग के शौक के कारण इस कार्य को किया है।
66
छात्रों ने बताया कि इस कार्य के लिए शिक्षा विभाग कू तरफ से मेहनताना भी दिया गया है। मगर, इनका लक्ष्य पैसे कमाना नहीं है। वे सभी इतना चाहते हैं कि लोगों के मन से सरकारी को लेकर अलग भावना हट सके। बच्चे जब स्कूल वापस आयें तो उन्हें अपने स्कूल में एक बदला हुआ सा माहौल मिले, जिसे देखकर वो खेल- खेल में ही कुछ सिख सकें।