परिवार कोयला बेचने का कारोबार करता था जो लॉकडाउन में बंद हो गया। कई दिन तक उन्होंने गांववालों की मदद ली, फिर उनसे ही बात करना बदं कर दिया। मृतक मिश्रीलाल तनाव में रहने लगा था। किसी से बात करने पर भी कुछ नहीं बोलता था। परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था। बस बेटा ही पढ़ाई कर रहा था, बेटियां पढ़ी हुई नहीं थी।