तैराकी में मेडल जीत बढ़ाया बिहार का मान, नौकरी नहीं मिली तो खोली चाय की दुकान..नाम रखा नेशनल तैराक टी-स्टॉल

पटना : बिहार (Bihar) की राजधानी पटना (patna) में एक नेशनल तैराक चाय बेचने को मजबूर है। नेशनल लेवल पर पांच मेडल जीतने वाला तैराक गोपाल प्रसाद यादव चाय बेचकर परिवार का गुजारा कर रहे हैं। गोपाल यादव कभी तैराक बनने का सपना संजोए हुए थे लेकिन उन्हें क्या पता कि भले ही वे मेडल पर मेडल जीत लें लेकिन इससे उनका गुजारा नहीं होने वाला है। सरकारों की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं मिलने और नौकरी के लिए दर-दर की ठोंकरे खाने के बाद गोपाल यादव ने नयाटोला में चाय की दुकान खोली और उसका नाम रखा 
नेशनल तैराक टी स्टॉल। आइए आपको बताते हैं आखिर क्यों चाय बेचने को मजबूर है ये नेशनल चैंपियन..

Asianet News Hindi | / Updated: Dec 23 2021, 06:00 AM IST
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तैराकी में मेडल जीत बढ़ाया बिहार का मान, नौकरी नहीं मिली तो खोली चाय की दुकान..नाम रखा नेशनल तैराक टी-स्टॉल

गोपाल यादव ने तैराकी में नेशनल लेवल पर एक-दो नहीं बल्कि 8 मेडल जीत बिहार का सम्मान बढ़ा चुके हैं। साल 1988 और 1989 में स्विमिंग चैम्पियन रह चुके हैं। लेकिन अब पटना के शिक्षा की मंडी कहे जाने वाले नया टोला के नुक्कड़ पर साल 1998 से चाय बेचते हैं और आज यही इनकी पहचान है।

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साल 1987 से 1989  तक लगातार तीन साल बिहार को दो स्वर्ण समेत कुल 8 पदक दिलाने वाले गोपाल प्रसाद यादव पैसे के आभाव में 1990 के प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाए थे। इस बीच गोपाल प्रसाद जी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी भाग लिए पर चौथे स्थान पर रहें । इस प्रतियोगिता में गोपाल के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण था कि वो तैराकी गंगा नदी में करते थे और वहां स्विमिंग पूल में करना पड़ा था।

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गोपाल यादव बताते हैं कि साल 1990 में घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई, खाने को घर में अनाज तक नहीं था। तब उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए हाथ-पांव मारना शुरू किया। इसी दौरान वे पोस्टल विभाग की नौकरी के लिए संत माइकल स्कूल में इंटरव्यू देने गए लेकिन वहां के अधिकारी ने उनकी फाइल उठा कर फेंक दी।
 

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गोपाल प्रसाद के दो बेटे हैं सोनू कुमार और सन्नी कुमार और कमाल की बात यह है की ये दोनों भी अच्छे तैराक हैं। दोनों बेटों का सपना है कि वे इंटरनेशनल स्विमिंग में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करे। लेकिन संसाधन की कमी की वजह से वह काफी निराश भी हैं। 
 

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चैंपियन होने के बावजूद गोपाल को न तो केंद्र से और ना ही राज्य सरकार से किसी भी तरह की मदद मिली। न उन्हें कोई सुविधा मिली और ना ही सरकारी नौकरी। सरकारी नौकरी के लिए उन्होंने बहुत कोशिस की लेकिन उन्हें निराशा ही मिली। काफी ठोकरें खाने के बाद उन्होंने परिवार चलाने के लिए चाय बेचनी शुरू की। गोपाल यादव ने अपने चाय के स्टाल का नाम नेशनल तैराक चाय दुकान रखा।

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गोपाल प्रसाद यादव ने अपनी चाय की दुकान पर सभी मेडल को भी टांग दिया है। इसे दुकान पर टांगने के सवाल पर वह कहते हैं कि ये मेडल सरकार की नाकामी उजागर करते हैं। ये मेडल बता रहे हैं कि बिहार में खिलाड़ी का क्या हश्र होता है। उन्होंने कहा कि ये सभी मेडल उन्होंने इसलिए टांग कर रखे हैं कि खेल में अपना कैरियर बनाने वाले यह देख लें कि अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी ये हश्र हो सकता है।

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गोपाल प्रसाद बताते हैं कि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की सरकार हो या नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की, सबसे गुहार लगा चुका हूं लेकिव वहां से नौकरी नहीं सिर्फ आश्वासन मिला। अब तेजस्वी तेजप्रताप की फोटो वाली टी शर्ट पहनकर चाय बेच रहे हैं। शायद उनकी सरकार आने के बाद हमारे अच्छे दिन आ जाएं।
 

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भले ही आज गोपाल यादव की हालात तैराकी के लिए अनुकूल नहीं है लेकिन उन्होंने तैराकी से प्यार करना नहीं छोड़ा है। यह तैराकी के प्रति उनका लगाव ही है कि वे हर रविवार को लोगों को मुफ्त में तैराकी सिखाते हैं। इस दौरान लोग भी उनसे तैराकी सीखते हैं और उनकी तारीफ करते हैं।

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