पत्नी की वजह से 22 साल में चीर दिया रास्ता रोकने वाले पहाड़ का सीना, अब बुरे दौर में है 'माउंटेनमैन' का परिवार

Published : Jul 21, 2020, 03:28 PM ISTUpdated : Sep 16, 2020, 03:23 PM IST

पटना (Bihar) । कभी बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी के घर नेताओं, मंत्रियों और अभिनेताओं का आना-जाना लगा रहता था। लेकिन, आज यह परिवार बुरे दौर से गुजर रहा है। परिवार के पास इलाज कराने के रुपए नहीं है। प्रशासन से भी मदद न मिलने पर परिवार को कर्ज लेना पड़ा है, बावजूद इसके दशरथ मांझी की नातिनी का इलाज नहीं हो पा रहा है, जिसका एक्सीडेंट में हाथ और पैर टूट गया है। बता दें कि दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के लिए छेनी और हथौडी से अकेले 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया  था। उनके इस काम से प्रभावित होकर सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया। उनपर फिल्म निर्देशक केतन मेहता ने मांझी द माउंटेन मैन फिल्म बनाई थी। उनके नाम से सरकार ने जिले में एक अस्पताल का निर्माण और नगर का नामकरण किया है।

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पत्नी की वजह से 22 साल में चीर दिया रास्ता रोकने वाले पहाड़ का सीना, अब बुरे दौर में है 'माउंटेनमैन' का परिवार

दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के लिए छेनी और हथौडी से अकेले 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर 22 साल में रास्ता बनाया  था। इसके लिए पहले लोगों को 70 किमी चलना पड़ता था, लेकिन दशरथ मांझी ने इसे एक किमी कर दिया था। (फाइल फोटो)
 

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दशरथ मांझी की 2007 में कैंसर से लड़ते हुए दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। जिसके बाद बिहार सरकार ने उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया था।
(फाइल फोटो)

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बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहलोर में दशरथ मांझी के नाम पर 3 किमी लंबी एक सड़क और हॉस्पिटल बनवाने का फैसला किया। उनके जीवन पर जब फिल्म बनने की बात चली तब वे अपनी अंतिम सांसें गिन रहे थे। उन्होंने एक ऐग्रीमेंट पेपर पर अपने अंगूठे का निशान लगाकर फिल्म बनाने की अनुमति दी थी।
(फाइल फोटो)

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फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन के निर्देशक केतन मेहता ने अपने बेहतरीन निर्देशन से इस फिल्म के एक-एक किरदार को जीवंत करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी ने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता ने भी रॉयलटी देने का वादा किया थे। लेकिन, नहीं मिला। 
 

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दशरथ के बेटे भगीरथ मांझी ने बताया कि कुछ दिन पहले सड़क दुर्घटना में उनकी बेटी का पैर और हाथ टूट चुका है। पैसे के अभाव में उसका इलाज सही से नहीं हो रहा। इलाज और दवाओं के अभाव में पीड़ित बच्ची तड़प रही है। ऊपर से इलाज के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने की चिंता सता रही है। 
 

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भगीरथ मांझी ने बताया की सरकारी लाभ के नाम पर सिर्फ पीडीएस दुकान से राशन मिलता है, जिससे वह किसी तरह गुजर बसर करने को मजबूर है। उस वक्त कहा गया था, कि इंदिरा आवास दिया जाएगा, कुछ भी नही मिला।  

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भगीरथ बतातें कि उनका बेटा मद्रास में काम करता था। लेकिन, लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो जाने के कारण वह वापस घर लौट गया। अब वह भी बेरोजगार है। साथ ही उनकी वृद्धा पेंशन भी कई महीनों से बंद है। आज भी फुस के घर में रहने को विवश हैं। (फाइल फोटो)

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भगीरथ बतातें कि बाबा (दशरथ मांझी) के नाम पर सरकार ने काफी कुछ किए, कार्यक्रम चलाए, कई उदघाटन तक कर दिए गए। किन्तु उनके परिवार के लिए कुछ नहीं किया गया। (फाइल फोटो)

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