मांगने पर तालाब से खुद ही बाहर निकलते थे बर्तन, कभी खराब नहीं होता इसका पानी, बेहद शॉकिंग है कहानी

मधुबनी(Bihar). हमारा देश अपने आप में अनेक परम्पराएं, मान्यताएं और  राज समेटे हुए हैं। देश में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जिनकी कहानी इतनी पुरानी और अद्भुत हैं कि सालों से लोग इसे धार्मिक परम्परा मानते हुए इसका निर्वहन करते आ रहे हैं। बिहार के मधुबनी जिले में ऐसा ही एक तालाब है जिसकी कहानी चौंकाने वाली है। बताया जाता है कि इस तालाब का पानी गंगा के पानी की तरह कभी खराब नहीं होता है। और तो और पुराने समय में यह राहगीरों द्वारा मांगे जाने पर उन्हें खाना बनाने के लिए बर्तन दिया करता था।
 

Ujjwal Singh | Published : Oct 12, 2022 7:48 AM IST

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मांगने पर तालाब से खुद ही बाहर निकलते थे बर्तन, कभी खराब नहीं होता इसका पानी, बेहद शॉकिंग है कहानी

यह तालाब मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड अंतर्गत झहुरी स्थल पर है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में देवी देवताओं का वास है। इस कारण वर्षों पूर्व इस रास्ते से जब राहगीर गुजरते थे तब वो विनती कर तालाब से बर्तन की मांग करते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक मांगने पर अचानक तालाब से बर्तन बाहर आ जाते थे फिर राहगीर खाना बनाकर बर्तन साफ कर पुनः तालाब के किनारे रख दिया करते थे। बर्तन खुद-ब-खुद अंदर चला जाता था।
 

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इस तालाब की कहानी राजा हरिहर सिंह देव से जुड़ी हुई है। इस तालाब पर स्थित झहुरी स्थल काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है। बाबा हरिहर सिंह देव की समाधि भी यही हैं। हर साल यहां बैसाखी के दिन मेला लगता है। जिले के अलावे पड़ोसी देश नेपाल सहित आसपास के लाखों लोग इस दिन तालाब में डुबकी लगाने यहां आते हैं। 
 

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लोगों का मानना है इस तालाब के नजदीक जो भी मन्नत मांगा जाए वो बाबा हरिहर सिंह देव की कृपा से पूरी होती है. लोगों का मानना है कि इस तालाब में हरिहर सिंह और उनकी पत्नी की आत्मा वास करती है। 

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तालाब के बीचोबीच एक कुआं भी है। बताया जाता है कि आज तक इस तालाब को कोई भी व्यक्ति तैर कर पार नहीं कर सका है। इतिहास के पन्नों में इस तालाब की अद्भुत कहानी है। 

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