तो 14 दिसंबर से पहले निर्भया गैंगरेप के 4 आरोपियों को नहीं मिलेगी फांसी, ये है वजह

बक्सर. हैदराबाद में दिशा गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर के बाद निर्भया गैंगरेप केस के आरोपियों के फांसी की मांग तेज हो गई है। तेलंगाना पुलिस द्वारा चारों रेपिस्टों को मारने के बाद कई संगठनों ने निर्भया को जल्द फांसी देने की मांग की है। निर्भया कांड के चारों दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुना चुका है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2019 12:02 PM IST / Updated: Dec 10 2019, 05:36 PM IST

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तो 14 दिसंबर से पहले निर्भया गैंगरेप के 4 आरोपियों को नहीं मिलेगी फांसी, ये है वजह
इन चारों में से सिर्फ विनय ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई थी। लेकिन अब उसने भी दया याचिका को वापस लेने का आग्रह किया है। दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय पहले से ही इन चारों दरिंदों के दया याचिका को खारिज करने की आग्रह कर चुका है।
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ऐसे में इन सब को फांसी देने पर मुहर लग चुकी है। अब बस इंतजार है उस दिन का जब इन चारों को फांसी दी जाएगी। फांसी की उठ रही देशव्यापी मांग के बीच बता दें कि इन चारों को 14 दिसंबर से पहले फांसी नहीं दी जा सकती। इसकी दो वजहें हैं।
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लेकिन जल्द ही निर्भया केस के दोषियों को फांसी दिए जाने की आशंका से इंकार भी नहीं किया जा सकता। उम्मीद जताई जा रही है कि 15 दिसंबर के बाद किसी भी दिन निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी जाएगी। इसके लिए फांसी का फंदा बनना शुरू हो चुका है। दरअसल, पूरे देश में फांसी का फंदा केवल बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल में ही बनता है।
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बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि जेल निदेशालय से 14 दिसंबर तक फांसी के 10 फंदे बनाने का निर्देश दिया गया है। जिसका काम चल रहा है। अगले चार दिनों में फंदा तैयार हो जाएगा। दूसरी वजह यह भी है कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए जल्लाद ही नहीं है। फांसी से पहले जल्लाद की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
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हालांकि जेल अधीक्षक ने यह नहीं बताया कि इन फंदों का उपयोग कहां होगा। लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि फांसी के फंदों को ज्यादा दिनों तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है।
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ऐसे में इस बात की प्रबल संभावन है कि 14 दिसंबर के बाद निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी दे दी जाएगी। बता दें कि बक्सर जेल में अंग्रेजों के जमाने का एक पावरलुम मशीन है। जिससे फांसी का फंदा तैयार होता है। पांच-छह कैदी तीन दिन की मेहनत के बाद एक फंदा तैयार करते हैं।
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फांसी के फंदे के लिए 152 रेशों वाले धागे को आपस को गूंथा जाता है। इसमें लोह और कांसे के तार भी लगाए जाते है। ताकि गर्दन पर पकड़ मजबूत हो। फंदे बनाने में 7200 धागे का इस्तेमाल होता है। फांसी के फंदे पर 150 किलो तक के वजनी व्यक्ति को आसानी से झुलाया जा सकता है। भारत में आखिरी बार फांसी की सजा संसद पर आतंकी हमला करने के आरोपी अफजल गुरू को दी गई थी। जिसके लिए बक्सर जेल ही फांसी का फंदा भेजा गया था। तब एक फंदे की कीमत 1725 रुपए थी।
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