कोरोना के साथ कैंसर को मात दे रहे 88 साल के बुजुर्ग, बेड पर काटा बर्थडे केक..डॉक्टर बोले-इनके आगे युवा फेल

Published : Apr 27, 2021, 04:48 PM ISTUpdated : Apr 27, 2021, 04:49 PM IST

पटना (बिहार). देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है। संक्रमण की दूसरी लहर में लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। हर तरफ निराशा और खामोशी छाई हुई है। अगर कोई संक्रमित हो जाए तो वह डर जाता है, अक्सर यही सोचता है कि पता नहीं वह ठीक होगा या नहीं। हिम्मत हार चुके ऐसे लोगों के लिए बिहार के एक 88 साल के बुजुर्ग ऐसी मिसाल पेश कर रहे हैं जो दूसरों के लिए बहुत कुछ सीख देने वाली है। वह सिर्फ कोरोना संकमित नहीं, बल्कि  कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से भी जूझ रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपना जज्बा-जुनून नहीं खोया है। उनके चेहरे की मुस्कुराहट को देखकर नहीं लगता है कि वह इन दो जानलेवा बीमारियों के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने अस्पताल के बेड पर मस्ती करते हुए अपने जन्मदिन का केक काटा है। पढ़िए जोश और हिम्मत की अनोखी काहनी...

PREV
15
कोरोना के साथ कैंसर को मात दे रहे 88 साल के बुजुर्ग, बेड पर काटा बर्थडे केक..डॉक्टर बोले-इनके आगे युवा फेल


दरअसल, इन कोरोना योद्धा का नाम देवी प्रसाद है, जो कि एक रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। वह मगध विश्वविद्यालय के HOD भी रह चुके हैं।  88 साल की उम्र में भी उन्होंने एक युवा की तरह अपना बर्थडे सिलिब्रेट किया। उन्होंने केक नहीं काटा, बल्कि उनकी इच्छा के अनुसार कमरे को भी सजाया गया। बेड के चारों तरफ बैलून लगाए गए। उन्होंने अपने सिपर बच्चों जैसा एक कैप भी पहन रखा था। बुजुर्ग के जन्मदिन की सारी वस्वस्था अस्पताल प्रबंधन ने कराई थी।
 

25

बता दें कि आठ दिन पहले उनको हल्का बुखार आया था। जब उन्होंने अपनी जांच कराई तो वह कोरोना पॉजिटिव निकले। इसके बाद  देवी प्रसाद जी खुद आगे आकर पटना के उदयन हॉस्पिटल में  भर्ती हुए। कई लोगों का कहना था कि  कैंसर के साथ मिलकर कोरोना और ज्यादा खतरनाक हो जाएगा। लेकिन इसके बाद भी बुजुर्ग नहे अपना हौसला बनाए रखा है।

35


देवी प्रसाद कहते हैं भगवान के घर जाना तो एक दिन सबको है ही, लेकिन जब तक ज़िंदगी है, सांस चल रही है तो जोश और जज्बे से जीना चाहिए। मैं एक नहीं दो बीमरियों से लड़ रहा हूं। लेकिन मेरे निराश होने से क्या मैं ठीक हो जाऊंगा। यह बिल्कुल गलत है, बल्कि और ज्यादा हालत बिगड़ जाएगी।मै अभी ज़िंदगी जीना चाहता हूं तो इसके लिए मुझे ही हिम्मत दिखानी होगी। हिम्मत और जोश ही हर जंग से जीतने का हथियार है। इसके सहारे ही जिंदगी की हर जंग लड़ी जाती है। 

45

बता दें कि उदयन हॉस्पिटल के डॉक्टर और अन्य स्टाफ जब उनसे मिलता है तो उनको देखकर ऐसा नहीं लगता कि वह इतनी बड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं। उनमें एक 25 साल के युवा से ज्यादा जोश है। वह पूरी तरह पॉजिटिव सोचते हैं, उनके कारण अन्य मरीजों की भी हिम्मत बढ़ जाती है। वह अपने कोविड वार्ड के मरीजों को अक्सर हंसाते रहते हैं। दूसरों के लिए वह आर्दश बन चुके हैं।

55

यह हैं बालाघाट के रहने वाले 92 साल के बुजुर्ग तुलसीराम सेठिया। जिनकी  कोरोना रिपोर्ट करीब 14 दिन पहले पॉजिटिव आई थी। लेकिन अब उन्होंने कोरोना के खिलाफ मस्ती करते हुए जंग जीत ली है। वह अपने ही घर पर ही क्वारैंटाइन थे। अक्सर अपने कमरे में नाचते-गाते थे। वह घरवालों से कहते थे कि तुम अपनी चितां करो मेरी नहीं। मेरा कोरोना  कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। बुजुर्ग ने  हिम्मत नहीं खोई और आइसोलेट  के दौरान पूरे जोश और जज्बे से काम किया। सोशल मीडिया पर बुजुर्ग का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वह नाचते गाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
 

Recommended Stories