फैसले से पहले लालू यादव का देसी अंदाज: लेकिन चेहरे पर दिखी चिंता की लकीरें..देखिए घर से लेकर कोर्ट की तस्वीरें

Published : Feb 15, 2022, 01:48 PM ISTUpdated : Feb 15, 2022, 01:49 PM IST

रांची/पटना.  RJD सुप्रीमों और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को सीबीआई की विशेष आदालत ने डोरंडा कोषागार घोटाले में दोषी ठहराया है। इस मामले में सजा का ऐलान 6 दिन बाद  यानि 21 फरवरी को होगा। लालू को दोषी करार की खबर सुनते ही रांची से लेकर पटना तक उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है। इतन ही नहीं सबसे बड़े फैसले के एक दिन पहले जब लाल रांची के स्टेट गेस्ट हाउस में शाम को ठंड से बचने के लिए आग तापते दिखे। इस दौरान उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई दीं। देखिए कोर्ट से लेकर लालू के घर की तस्वीरें...  

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फैसले से पहले लालू यादव का देसी अंदाज: लेकिन चेहरे पर दिखी चिंता की लकीरें..देखिए घर से लेकर कोर्ट की तस्वीरें

दरअसल, रविवार शाम को लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती अपने पति के साथ उनसे मिलने के लिए रांची पहुंची हुई थीं। उनके साथ बिहार से आए हुए पार्टी के कुछ नेता भी थे, जो अपने सुप्रीमों से मिलना चाहते थे। बताया जाता है कि इस दौरान लालू यादव अपने कमरे से बाहर निकले थे। जहां उन्होंने पहले छोटे नेताओं-कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इसके बाद लालू कमरे से बाहर टेरेस पर आए और  अलाव तापने लगे।

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बता दें कि फैसले के एक दिन पहले लालू से मिलने के बाद आरजेडी के नेताओं ने फैसले को लेकर भगवान से कामना करते हुए भी दिखे। इस दौरान हर किसी के चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी। खुद लालू यादव भी टेंशन में दिखाई दिए।
 

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यह तस्वीर मंगलवार सुबह यानि फैसले के वक्त से कुछ देर पहले की बताई जा रही है। इस दैरान जब फैसला सुनने रांची CBI कोर्ट पहुंचे लालू यादव तो उनकी एक झलक देखने के लिए कोर्ट परिसर में ही समर्थकों भीड़ उमड़ पड़ी। हालांकि पहले से पुलिस प्रशासन ने अदलत परिसर के भीतर और बाहर सुरक्षा बढ़ाकर रखी थी।
 

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यह तस्वीर बिहार की राजधानी पटना में स्थित लालू की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के बाहर की है। जहां आप साफ तौर पर देख सकते हैं किस तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है। जबकि घर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, उनकी पत्नी और खुद राबड़ी देवी के आवास में हैं। लेकिन यह तस्वीर बता रही है कि लालू का पूरा परिवार इस वक्त कितनी बड़ी मुश्किल में है।
 

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क्या है मामला 
1990 से 1992 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से फर्जी निकासी का घोटाला हुआ। यह अपनी तरह का नायाब फर्जीवाड़ा था। इसमें अवैध तरीके से पैसे निकालने के लिए पशुओं को वाहनों में ढोने के बिल पास कराए गए। लेकिन जिन वाहनों के नंबर दिए गए थे, जांच में वे स्कूटर या दुपहिया वाहनों के निकले। मामले की सीबीआई जांच के दौरान पता चला कि नेताओं और अफसरों ने मिलकर 400 सांडों को हरियाणा और दिल्ली जैसे शहरों से रांची लाया गया। सरकारी दस्तावेजों में कहा गया कि गायों की बेहतर नस्ल के लिए इन्हें लाया गया है। लेकिन जिन वाहनों पर इन्हें लाना दर्शाया गया, उनके नंबर दोपहिया वाहनों के निकले। इन नंबरों की जांच के लिए देश के 150 परिवहन कार्यालयों से दस्तावेज जुटाए गए। 

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