AR Rahman Birthday: पढ़ने में बेहद कमजोर ए आर रहमान करना चाहते थे सुसाइड, एक फकीर ने बदल दी जिंदगी

मुंबई. फेमस संगीतकार एआर रहमान (AR Rahman) 6 जनवरी को अपना जन्मदिन मना रहे हैं।  वो एक ऐसे संगीतकार है जिनकी म्यूजिक की आवाज कानों में पहुंचते ही एक नशा सा छा जाता है। कहा जाता है कि रहमान साहब का संगीत पहले समझ नहीं आता लेकिन जैसे-जैसे चढ़ता है फिर कुछ और अच्छा नहीं लगता है। यहीं वजह है कि देश ही नहीं विदेशों में भी उनके करोड़ो कद्रदान हैं। आर रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता आरके शेखर मलयालम फिल्मों में म्यूजिक अरेंजर का काम करते थे। इसके साथ ही वो म्यूजिक इक्विपमेंट को किराए पर भी देते थे। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक किस्से...

Asianet News Hindi | / Updated: Jan 06 2022, 06:32 AM IST
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AR Rahman Birthday: पढ़ने में बेहद कमजोर ए आर रहमान करना चाहते थे सुसाइड, एक फकीर ने बदल दी जिंदगी

एआर रहमान का असली नाम दिलीप शेखर था। कहा जाता है कि उन्हें अपने नाम से नफरत थी। उन्हें लगता था कि उनका नाम अच्छा नहीं हैं। पढ़ाई में वो बहुत कमजोर थे। हर बार क्लास में सबसे कम नंबर उन्ही का आता था। बार-बार कम नबंर आने की वजह से उन्हें एक बार लगा कि सुसाइड कर लेता हूं। लेकिन जिंदगी ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।

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पिता के साथ दिलीप शेखऱ चार साल की उम्र से ही सेट पर जाने लगे और कामकाज सीखने लगे। इतना ही नहीं वो म्यूजिक  इक्विपमेंट भी बजाना सीखने लगे। चार साल में ही हारमोनियम पर ऊंगलियां चलने लगी थी। लेकिन बेहद ही कम उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। इसके बाद वो काम शुरू कर दिए। घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था। 

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एक बार उनकी बहन बहुत बीमार हुई  जब दवा असर नहीं किया तो उनकी मां ऊपरवाले का सहारा लीं। उनकी मां की मुलाकात एक फकीर से हुई। फकीर ने ऐसा चमत्कार किया कि उनकी बहन ठीक हो गईं। जिसके बाद दिलीप उस संत को बहुत ज्यादा मानने लग गए। वो दरगाह पर जाने लगे और वहां संगीत बनाने लगे। कहते हैं कि उन्हीं संत ने भविष्यवाणी कर दी थी कि 10 साल बाद वो कहां होंगे।

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फकीर से मिलने के बाद दिलीप ने इस्लाम कबूल करने का मन बना लिया। एक किताब में उन्होंने रहमान नाम देखा तो उन्होंने उसे रखने की सोची। उनकी मां नाम में अल्लाह रखा भी चाहती थी। जिसके बाद अल्लाह रखा रहमान यानि ए आर रहमान बने। एआर रहमान ने 23 साल की उम्र में 1989 में इस्लाम क़बूल किया था।

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ए आर रहमान ने 1991 में अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु कर दिया था। उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोज़ा में संगीत देने के लिए बुलाया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म में ही रहमान ने फिल्मफेअर जीता। इसके बाद ए आर रहमान कभी पीछे मुड़कर नहीं देखें। 
 

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उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, लगान, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है।

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ए आर रहमान ने साईरा बानू से शादी की। उनके तीन बच्चे हैं खातिजा, रहीमा और अमीन है। रहमान अपनी बेटी की शादी करने जा रहे हैं।

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एआर रहमान अपने करियर में एक बार ऑस्कर अवार्ड, चार राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, दो एकेडमी अवॉर्ड, दो ग्रैमी अवॉर्ड, एक बाफ्टा अवॉर्ड और गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं। 

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