मुश्किल में फंसी रवीना की सलमान ने ऐसे की मदद, फ्रेंडशिप डे पर सेलेब्स की दोस्ती के 8 रोचक किस्से

मुंबई। अगस्त का पहला संडे दुनियाभर में 'फ्रेंडशिप डे' के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन आम लोगों के साथ ही बॉलीवुड के पॉपुलर सेलेब्स के लिए भी उतना ही मायने रखता हैं। इस बार फ्रेंडशिप डे 2 अगस्त को सेलिब्रेट किया जा रहा है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन बॉलीवुड सेलेब्स के बारे में, जिन्होंने अपने बेस्ट फ्रेंड के बारे में खुलकर बताया। इनमें रवीना टंडन, तब्बू, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, सुष्मिता सेन, अभिषेक बच्चन, नाना पाटेकर और सिद्धार्थ मल्होत्रा समेत कई सेलेब्स शामिल हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2020 7:41 AM IST
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मुश्किल में फंसी रवीना की सलमान ने ऐसे की मदद, फ्रेंडशिप डे पर सेलेब्स की दोस्ती के 8 रोचक किस्से

जब सलमान से पैसों का पूछा तो उसने कहा- गाली मत दे यार :
सलमान और मेरा रिश्ता बहुत पुराना है। मैंने अपने करियर की शुरुआत सलमान के साथ फिल्म 'पत्थर के फूल' से की थी। उसी दौरान हमारी दोस्ती हुई। वह मुझे चिढ़ाता भी, मजाक भी करता था। हालांकि, 'अंदाज अपना-अपना' के बाद हमने कोई फिल्म साथ में नहीं की, लेकिन एक-दूसरे से मिलते जरूर रहे हैं। वक्त गुजरता गया। सलमान दिन-ब-दिन हिट होते गए और मैं फिल्में कम करती गई। एक समय वह भी आया, जब मैंने बतौर प्रोड्यूसर फिल्म 'स्टंप्ड' बनाई। इस फिल्म में एक डांस नंबर था, जो मुझे इंडस्ट्री के किसी जाने-माने हीरो से करवाना था। मेरी फिल्म का बजट ज्यादा नहीं था, इसलिए किसी टॉप हीरो को ज्यादा पैसे भी नहीं दे सकती थी। लिहाजा, इंडस्ट्री में अपने दोस्तों में शुमार कई एक्टर्स से बात की, लेकिन सभी ने कोई न कोई बहाना बना दिया। फाइनली, मैं सलमान के पास पहुंची। उसने बिना कोई सवाल-जवाब किए डांस नंबर करने के लिए हामी भर दी। उसने पूछा, 'शूटिंग कब करनी है और मुझे सेट पर कब आना है?' जब मैंने उससे पैसे की बात की तो उसने कहा कि मैं इसकी चिंता न करूं। इसके बाद फिल्मसिटी में सेट लगवाया गया। सलमान टाइम पर पहुंच गया और दो दिन के अंदर शूटिंग पूरी कर ली। शूटिंग के बाद मैंने सलमान से फिर पैसों के बारे में पूछा तो उसने कहा, 'गाली मत दे यार। मैं तुझसे पैसे लूंगा। प्लीज ऐसी बात मत कर।" उसका यह अंदाज आज भी मुझे इमोशनल कर देता है। असल दोस्त क्या होता है और दोस्ती के मायने क्या होते हैं...यह मैंने सलमान जैसा दोस्त पाने के बाद ही जाना।"

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धोनी की लाइफ में कुछ नया होता है तो मुझसे शेयर करता है :
महेंद्र सिंह धोनी और मेरी दोस्ती तब से है, जब हम कुछ भी नहीं थे। आम लड़कों की तरह हमें भी मोटरबाइक और फुटबॉल से प्यार हुआ करता था। हमारे बीच आज भी पहले जैसी ही दोस्ती है। आज मेरे पास दो मोटर बाइक हैं। वहीं, महेंद्र के पास 29 बाइक हैं। पहले हमारी मुलाकात तकरीबन हर रोज हो जाती थी, लेकिन अब कभी-कभी ही ऐसा हो पाता है। हालांकि, मैसेजेस और कॉल के जरिए हम एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। उसकी लाइफ में कुछ नया होता है तो वह मुझे बताता है और मेरी जिंदगी की हर नई घटना से मैं उसे वाकिफ कराता रहता हूं। हम उन दोस्तों में से हैं, जो दूर रहकर भी पास हैं। मेरा मानना है कि जरूरी नहीं कि दोस्त रोज मिलें, लेकिन जब भी मिलें तो एक नए जोश के साथ मिलें। धोनी के अलावा अक्षय कुमार और अभिषेक बच्चन भी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। धोनी की तरह अभिषेक को भी बाइक चलाने का बहुत शौक है। 'धूम' की शूटिंग के दौरान वह अक्सर मेरी बाइक लेकर भाग जाता था। जहां तक अक्षय की बात है तो वह बहुत ही मजाकिया है। उसकी हर बात में कोई न कोई जोक होता है। यही वजह है कि उसकी कंपनी में बहुत मजा आता है।

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मुझे जब भी कोई सलाह चाहिए होती है अक्षय के पास जाती हूं :

मेरी नजर में दोस्त वो है, जिस पर हम भरोसा कर सकें। अपनी हर बात शेयर कर सकें और सबसे खास बात वह हमेशा सही सलाह दे। ये सभी खूबियां मैंने अक्षय कुमार में देखी हैं। अक्षय बहुत ही मुंहफट इंसान हैं और साफ दिल भी। मेरी उनसे बहुत अच्छी दोस्ती है। मुझे आज भी याद है, जब डैडी की डेथ हुई थी और मैं खुद को अकेली और दुखी महसूस कर रही थी, तब अक्षय ने मुझे मेंटल सपोर्ट दिया था। वह हमेशा मेरी खैरियत लेते रहते थे। एक समय वो भी था, जब अक्षय और मेरी दोस्ती को रोमांस का नाम दे दिया गया था। जबकि हम दोनों के बीच सिर्फ अच्छी दोस्ती है। मुझे जब भी कोई सलाह चाहिए होती है, मैं अक्षय के पास पहुंच जाती हूं। मैंने जब-जब भी अक्षय के साथ फिल्में की है, तब-तब उन्होंने मुझे एक अच्छे स्कूल टीचर की तरह डांट-डांटकर सही गाइड किया। अनुशासन में रहना मैंने उनसे ही सीखा है। वे हमेशा मुझसे कहते हैं कि यदि आप समय की कद्र नहीं करोगे तो एक दिन आएगा जब समय आपकी कद्र नहीं करेगा।

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पहले हम एक-दूजे से कटते थे, लेकिन अब तब्बू मेरी सबसे अच्छी दोस्त : 
अजय देवगनवैसे तो फिल्म इंडस्ट्री में रोहित शेट्टी, सलमान खान, संजय दत्त सहित मेरे कई अच्छे दोस्त हैं, लेकिन तब्बू मेरी सबसे पुरानी और क्लोज फ्रेंड है। उसे मुझपर बहुत विश्वास है। वह कोई भी बात मुझसे नहीं छिपाती। हमने जब पहली बाद फिल्म 'विजयपथ' में काम किया था तो दोनों एक-दूसरे से बहुत कटते थे। कारण, तब्बू बहुत शर्मीली है और मैं भी काफी रिजर्व्ड टाइप का इंसान हूं। मुझे आज भी याद है कि 'विजय पथ' के दौरान हमें एक-दूसरे से कटते देखकर डायरेक्टर टेंशन में आ गया था। वह यह सोचकर परेशान था कि यदि मैं और तब्बू आपस में बात नहीं करेंगे तो बतौर हीरो-हीरोइन काम कैसे करेंगे। खैर, धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई। तब्बू से बात शुरू होने के बाद मैंने महसूस किया कि वह दिल से बहुत सीधी और इमोशनल है। इसके बाद हमारी दोस्ती हो गई। तब्बू और मैंने 'विजयपथ' के बाद 'तक्षक' और 'हकीकत' में भी साथ काम किया। इसके बाद हमने साथ में फिल्में नहीं कीं, लेकिन हमारी दोस्ती आज भी बरकरार है। अरसे बाद हम एक साथ 'दृश्यम' में नजर आए।

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जब भी सलाह की जरूरत होती है, सलमान को याद करती हूं : 
सुष्मिता दोस्ती की जब बात चलती है तो मुझे याद आती है कृष्ण-सुदामा की। एक बार सुदामा ने कृष्ण से पूछा कि दोस्ती का मतलब क्या होता है तो कृष्ण ने जवाब दिया, 'जहां मतलब हो, वहां दोस्ती नहीं होती।' सच यह है कि आज के कमर्शियल युग में यदि कोई रिश्ता बनाता है तो सिर्फ मतलब सिद्ध करने के लिए। हालांकि, इस दुनिया में मुझे एक ऐसा शख्स मिला, जो सही मायने में दोस्ती की मिसाल है। वह है सलमान खान। सलमान उन दोस्तों में से हैं, जो मतलब के लिए दोस्ती नहीं करते, बल्कि वक्त पर दोस्ती निभाते हैं। यही वजह है कि सलमान कई सालों से मेरे दोस्त हैं। मुझे जब भी किसी सलाह की जरूरत होती है या पार्टी का मन होता है, सलमान को फोन लगा लेती हूं। मुझे याद है, एक बार मेरी बेटी रिनी की तबीयत रात को 2 बजे खराब हो गई। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि इतनी रात को किस डॉक्टर से संपर्क करूं। तभी सलमान का फोन आया। उसके यहां पार्टी चल रही थी और उसने मुझे वहां बुलाया। मैंने उसे रिनी की तबीयत के बारे में बताया तो वह बिना देरी किए डॉक्टर को लेकर मेरे घर पहुंच गया। पूरी रात वह फिर वहीं रुका रहा।

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संजू बाबा के साथ आता था मजा : 
मैं और संजय दत्त जब भी किसी शूटिंग में साथ होते थे, धमाल मचा देते थे। दरअसल, हमारा स्वभाव बहुत मिलता-जुलता है। सच्चा दोस्त वही है, जिसके साथ हम एन्जॉय कर सकें, मजे कर सकें और दिल की बातें शेयर कर सकें। ये सभी क्वालिटी मुझे संजू में नजर आती हैं। वैसे तो इंडस्ट्री में मेरे कई दोस्त हैं, लेकिन मजा मुझे संजू के साथ ही आता है। मुझे याद है कि एक बार हम दोनों किसी फिल्म की शूटिंग आउटडोर कर रहे थे। उस दौरान हमारा कैमरामैन हर 15-20 मिनट में शूटिंग छोड़ एक पेड़ के पास बाथरूम करने चला जाता था। मैंने और संजू ने उसे समझाने की कोशिश की कि भाई तुम्हे उस पेड़ के पास बाथरूम नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वहां भूत है और वह तुम्हें पकड़ भी सकता है। उसके बाद उसी रात हम एक टेप रिकॉर्डर उसके रूम के पास ले गए, जिसमें मैंने आवाज रिकॉर्ड की थी कि दत्ता तूने क्यों मूता...मैं वहां सोया था। यह सुनते ही कैमरामैन होटल से भागा और सीधा मुंबई आकर ही रुका। ऐसे ही अक्सर हम टाइमपास किया करते थे। आज भी मुझे वो दिन याद आते हैं। अब तो उससे मिले हुए भी बहुत दिन हो गए।"

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मेरी फिल्म देखकर शहाना बताती हैं परफॉर्मेंस :
शहाना गोस्वामी मेरी बेस्ट फ्रेंड है। हम दोनों ने करियर की शुरुआत एक साथ की। उस दौरान हम नहीं जानते थे कि हमारा एक्टिंग करियर किस तरह आगे बढ़ेगा। हां, एक बात तय थी कि हम हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे। नेचर के साथ-साथ हमारी पसंद भी एक-दूसरे से काफी मिलती है। मुझे जब भी शॉपिंग या स्कूबा डाइविंग करनी होती है, मैं शहाना के साथ ही जाना पसंद करती हूं। मुझे याद है, जब हम विंडो शॉपिंग के साथ-साथ स्ट्रीट शॉपिंग भी करते थे। उस वक्त हम अच्छी ड्रेस या टॉप मिलने पर इतने खुश होते थे, जैसे बहुत बड़ी चीज मिल गई हो। आज महंगी से महंगी ड्रेस मिलने पर भी हमें वह खुशी नहीं होती। हम आज भी एक-दूसरे के टच में रहते है। वह मेरी फिल्म देखती है और पूरी ईमानदारी से बताती है कि फिल्म में मेरी एक्टिंग कैसी रही। उसे मेरी फिल्म 'कॉकटेल' बहुत पसंद आई थी।"

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अनिल और मेरा नेचर बिल्कुल अलग, फिर भी हम अच्छे दोस्त : 
नाना पाटेकरअनिल कपूर मेरे सबसे पुराने और सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं। हम दोनों के नेचर में बहुत फर्क है, लेकिन अच्छी दोस्ती भी है। मुझे आज भी याद है वो दिन जब अनिल के साथ मैं पहली बार 'परिंदा' की शूटिंग कर रहा था। उस वक्त मैं फिल्मों में नया था और अनिल तो फेमस हीरो था। जब मैं उसके सामने पहुंचा तो मैंने सोचा कि फेमस होने के चलते वह स्टाइल मारेगा, एटीट्यूड दिखाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। वो सीधा मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला, 'हाय नाना'। उसकी इस अदा पर मैं फिदा हो गया। धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बनते गए। हम इतने अच्छे दोस्त बन गए कि सेट पर एक-दूसरे की टांग खींचे बगैर नहीं रहते। मैं थोड़ा गुस्सेवाला हूं और अनिल को तो गुस्सा आता ही नहीं। लिहाजा, जब कभी मैं गुस्से में होता हूं तो वह मुझे कंट्रोल में लाता था। काफी समय बाद जब हमने 'वेलकम' में साथ काम किया तो हमारी असली दोस्ती भी फिल्म में नजर आई। हमारी केमिस्ट्री लोगों को अच्छी लगी।

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