मिस इंडिया रनर अप का ताज पहन पापा के ऑटो में मान्या सिंह ने की सवारी, मां का लिया आशीर्वाद

मुंबई. वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020 के इवेंट का आयोजन 10 फरवरी को किया गया। इस इवेंट की साल की विजेता मानसा वाराणसी बनी हैं। उन्होंने मिस इंडिया का खिताब जीता है। वहीं, ऑटो रिक्शा चालक की बेटी मान्या सिंह फर्स्ट रनर अप और मिस यूपी बनी हैं। दूसरी रनर अप मनिका शियोकांड फर्स्ट व सेकेंड रनर अप रही हैं। ऐसे में अब मान्या सिंह की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जब वो अपने परिवार के पास पहुंच गई है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2021 6:56 AM IST
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मिस इंडिया रनर अप का ताज पहन पापा के ऑटो में मान्या सिंह ने की सवारी, मां का लिया आशीर्वाद

दरअसल, मान्या सिंह के पिता ओमप्रकाश सिंह ने मंगलवार 16 फरवरी को ऑटो रैली निकाली है, जिसमें मान्या के साथ उनकी मां भी मौजूद थीं। इस दौरान उन्होंने मिस इंडिया रनर अप का ताज पहन रखा था। 

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इस दौरान मान्या ने मां के पैर भी छुए। रैली में उनके पिता के ऑटो के अलावा कई लोगों के ऑटो थे। ये रैली श्याम नारायण ठाकुर मार्ग से ठाकुर गांव और कांदीवली ईस्ट मुंबई तक निकाली गई थी। 
 

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मान्या सिंह ने अपनी तमाम आर्थिक दिक्कतों का सामना करने के बाद ही ये मुकाम हासिल किया है। मान्या सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता एक रिक्शा चालक हैं। 
 

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ऐसे में उन्होंने अपनी जिंदगी में बड़ा संघर्ष देखा है। उन्हें काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। उनकी कई रातें ऐसी भी बीती हैं, जब उन्हें भूखे पेट रात गुजारनी पड़ी है। 
 

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मान्या ने कहा था कि 'उनका खून, पसीना और आंसू उनकी आत्मा के लिए खाना बने और उन्होंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई। मान्या ने कम उम्र में ही नौकरी करना शुरू कर दिया था, जो भी कपड़े उनके पास थे, दूसरों के दिए हुए थे। उन्हें किताबें चाहिए थीं लेकिन वो उनकी किस्मत में बनी थीं।'
 

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मान्या ने ये भी बताया था कि 'बाद में उनके मां-बाप ने जो भी जेवर उनके पास थे, उन्हें बेचकर उन्हें पढ़ाया था। उत्तर प्रेदश में महिला होना इतना आसान नहीं है और उनकी मां ने शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर बहुत कुछ सहा है। उत्तर प्रदेश वैसे भी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के लिए बदनाम एक पितृसत्तात्मक राज्य है।'
 

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मान्या ने कहा था कि 'उन्होंने 14 साल की उम्र में ही सबकुछ छोड़ दिया था और घर छोड़कर भाग गई थीं। वो दिन में किसी तरह पढ़ती थीं, शाम को बर्तन धोने का काम किया करती थीं और रात को कॉल सेंटर में काम करती थीं।'
 

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मान्या आगे बताती हैं कि 'उन्होंने ट्रेनों के वॉशरूम में खुद को साफ किया है और रिक्शे के पैसे बचाने के लिए घंटों पैदल चला करती थीं।'
 

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मान्या ने आगे कहा था कि 'उन्होंने अपने पिता, मां और भाई की स्थिति ठीक करने के लिए बहुत कुछ किया है और आज वो यहां हैं, दुनिया को दिखाने के लिए कि आप ठान लो तो कुछ भी कर सकते हो।'
 

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