असल 'विक्रम-वेधा' से यहां मात खा गए ऋतिक-सैफ, अगर देखी है ओरिजिनल फिल्म तो इन बातों से होंगे सहमत

एंटरटेनमेंट डेस्क. भले ही उन लोगों के लिए यह फिल्म मजेदार होगी जो इसे देखने पहली बार जा रहे हैं पर अगर आपने ओरिजिनल 'विक्रम वेधा' देखी हुई है तो आपके लिए यह निराशजनक है। सच कहें तो अगर ऋतिक रोशन इस फिल्म में न होते तो शायद अच्छी कहानी के बावजूद भी यह फिल्म फ्लॉप हो जाती। दरअसल, 'विक्रम और वेधा' ये दो ऐसे किरदार हैं जो एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। फिल्म की कहानी भी कुछ ऐसी है कि जब तक दोनों एक दूसरे की मदद न करें दोनों में से कोई भी एक आगे नहीं बढ़ सकता। 2017 में जब डायरेक्टर जोड़ी पुष्कर और गायत्री ने इसकी ओरिजिनल फिल्म बनाई थी तब उसमें विक्रम का रोल आर माधवन और वेधा का रोल विजय सेतुपति ने निभाया था। उस फिल्म में दोनों ही किरदार बराबरी से अहम थे पर इसके हिंदी रीमेक में वेधा का किरदार ज्यादा चमकता हुआ नजर आया है। अब इसकी वजह कहानी है या ऋतिक रोशन और सैफ अली खान की एक्टिंग ये जानेंगे हम इस खबर में। साथ ही यह भी जानेंगे कि 'विक्रम-वेधा' की ओरिजिनल फिल्म और इसके हिंदी रीमेक में क्या फर्क और क्या समानता है...

Akash Khare | Published : Sep 30, 2022 12:30 PM IST / Updated: Sep 30 2022, 06:09 PM IST

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असल 'विक्रम-वेधा' से यहां मात खा गए ऋतिक-सैफ, अगर देखी है ओरिजिनल फिल्म तो इन बातों से होंगे सहमत

स्टोरी और स्क्रीनप्ले: सीन दर सीन की गई है कॉपी
सबसे पहले तो बात करते हैं फिल्म की कहानी तो मेकर्स ने इसकी पृष्ठभूमि बदलकर साउथ से नॉर्थ तो कर दी पर सीन एक भी नया नहीं लेकर आए। फिल्म की शुरुआत से लेकर अंत तक कहानी तो छोड़िए सीन तक में कोई नयापन नहीं है। चाहे चेसिंग सीन हो या वेधा का पुलिस स्टेशन पर सरेंडर करने वाला सीन। सब कुछ ओरिजिनल फिल्म से चुराया हुआ लगता है। सिर्फ कलाकारों के चेहरे और उनकी भाषा नई है। यकीन मानिए कई जगहों पर तो हिंदी डबिंग वाली फिल्म से डायलॉग तक कॉपी किए गए हैं। हां, कहानी के प्लॉट में बस एक छोटा सा बदलाव किया गया है जिसके चलते एक नया सीन देखने को मिलता है। जहां मूल फिल्म में वेधा का किरदार अपने मालिक की आंखों में बड़ा बनने के लिए पुलिस चेकिंग में फंसी हुई उसकी कार निकालकर ले आता है वहीं यहां वेधा एक किडनैपिंग का मामला निपटा देता है।

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कास्टिंग: साथी कलाकार रह गए कमजोर
फिल्म की दूसरी कमजोरी है इसकी कास्टिंग। जहां असल फिल्म में भले ही किरदार नए थे पर सभी अपनी एक्टिंग से दर्शकों को बांधकर रखते हैं। यहां सैफ-ऋतिक, राधिका आप्टे और रोहित सराफ को छोड़ दिया जाए तो बाकी किसी भी कलाकार को कोई ऐसा सीन नहीं है जो यादगार रह जाए। फिल्म में कई अहम किरदार थे जिनमें पंकज त्रिपाठी, अनुपम खेर, परेश रावल या फिर नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकारों की कास्टिंग की जा सकती थी। एक साथ कई किरदारों नए चेहरे देखकर किरदारों को याद करने में तकलीफ होती है।

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किरदारों के डेवलपमेंट: इमोशंस डेवलप ही नहीं हुए
अब बात करते हैं सीन दर सीन कहानी के डेवलपमेंट की। ओरिजिनल फिल्म के शुरुआती 20 मिनट में जब कहानी डेवलप होती है तो दर्शक हर एक किरदार से पूरी तरह से जुड़ चुके होते हैं। जबकि हिंदी रीमेक में शुरुआती 20 मिनट बड़ी मुश्किल से झिलते हैं। जब तक ऋतिक फ्रेम में नहीं आते। फिल्म बोरिंग ही लगती रहती है। वहीं ओरिजिनल फिल्म में जहां विक्रम और उसकी पत्नी व वेधा के भाई और उसकी गर्लफ्रेंड के बीच बॉन्डिंग दिखाई गई वो यहां गायब है। विक्रम और उनके पुलिस ऑफिसर दोस्त के बीच दिखाई गई दोस्ती में भी उस बॉन्डिंग की कमी है। वेधा की गैंग के मेंबर्स के इमोशंस भी यहां उस तरह डेवलप नहीं हो पाए जिस तरह मूल फिल्म में हुए थे।

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एक्टिंग: ऋतिक को देखकर भूल जाएंगे विजय सेतुपति पर याद आएंगे आर माधवन
ओरिजिनल फिल्म में सिर्फ वेधा ही नहीं बल्कि विक्रम के किरदार में भी कई लेयर्स दिखाई गई थी। पर यहां विक्रम बने सैफ अली खान एक ही टोन में नजर आते हैं। वे कई मौकों पर अपने 'सेक्रेड गेम्स' वाले पुलिस ऑफिसर के किरदार की याद दिलाते हैं। सैफ इससे बेहतर परफॉर्म करते हैं और कर भी सकते थे। पर यहां उन्हें देखकर कई बार ओरिजिनल विक्रम यानि आर माधवन की याद आती है। गनीमत रही कि ऋतिक ने वेधा के किरदार को संभाल लिया वर्ना यह फिल्म बुरी तरह पिट भी सकती थी। हालांकि, कई मौकों पर ऋतिक भी कमजोर नजर आते हैं पर ओवरऑल देखें तो ओरिजिनल वेधा यानि विजय सेतुपति वाला स्वैग, किरदार की लेयर्स और सबसे जरूरी एक्शन और इमोशंस को ऋतिक ने यहां अच्छे से पकड़ा है। बाकी तो अन्य किरदारों के पास कुछ खास करने को था नहीं।

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डायरेक्शन: कमर्शियलाइज करने के चक्कर में कहानी से भटके
फिल्म के शुरुआती सीन जिनके जरिए दर्शक कहानी से जुड़ता है वो बेहद कमजोर हैं। कई सीन्स में इमोशंस की कमी है तो कुछ में कलाकारों के इमोशंस मैच ही नहीं कर रहे। कुछ सीन तो एक दम ऐसे लगते हैं जैसे पुष्कर-गायत्री को टेक ओके करने की जल्दी थी। यह देखकर हैरानी होती है कि ये वहीं डायरेक्टर जोड़ी जिसने साउथ के कलाकारों को लेकर इसी कहानी के साथ एक सुपरहिट फिल्म बनाई थी। वो तो भला हो इस फिल्म की कहानी का जो अपने आप में ही इतनी दमदार है कि फिल्म को फ्लॉप नहीं होने देगी। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस डायरेक्टर जोड़ी ने इस हिंदी रीमेक पर उतनी मेहनत नहीं की जितना ओरिजिनल में की थी। कपल इस फिल्म को कमर्शियलाइज करने के चक्कर में मूल कहानी से भटक गया।

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