वो कई निर्माताओं के पास गए और सबने कहा कि 'ये पिक्चर मत बनाओ, नहीं चलेगी', आखिरकार, सनी देओल अपने पिता धर्मेंद्र के पास गए। धर्मेंद्र को भी इसकी कहानी अच्छी लगी और उन्होंने फिल्म बनाने का फैसला किया। एक्टर के पिता ने उन पर विश्वास दिखाया और सभी ने कड़ी मेहनत की।