World Music Day: सिर चढ़कर बोलती थी 90 के दशक के इन 10 सिंगर्स की आवाज़, अब लाइमलाइट से हैं कोसों दूर

एंटरटेनमेंट डेस्क. दुनियाभर में आज वर्ल्ड म्यूजिक डे (World Music Day) मनाया जा रहा है। जब बात संगीत की आती है तो बॉलीवुड दुनिया की हर इंडस्ट्री पर भारी पड़ता है। खासकर 90 का दशक इसका गोल्डन दशक रहा है। उस वक्त के सिंगर्स की आवाज़ आज भी म्यूजिक लवर्स को खूब भाती है। हालांकि, उस दौर के कई सिंगर्स ऐसे हैं, जो सालों से लाइमलाइट से दूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही 10 सिंगर्स के बारे में बता रहे हैं, देखें नीचे स्लाइड्स...

Gagan Gurjar | Published : Jun 21, 2022 5:45 AM IST / Updated: Jun 21 2022, 11:20 AM IST
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World Music Day: सिर चढ़कर बोलती थी 90 के दशक के इन 10 सिंगर्स की आवाज़, अब लाइमलाइट से हैं कोसों दूर

विनोद राठौड़ ने 90 के दशक में 'पर्बत से काली घटा' (चांदनी), 'कोई न कोई चाहिए' (दीवाना), 'ए मेरे हमसफ़र' (बाजीगर) और 'दुल्हन तो जाएगी' (दूल्हे राजा) जैसे गानों को आवाज़ दी थी। उन्हें पिछली बार एल्बम 'आया है दूल्हा दुल्हन ले जाएगा' (2018) में सुना गया था, जिसमें उनके को-सिंगर सोनू निगम और शिवा थे।

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90 के दशक में 'नहीं होना था' (परदेस), 'जंगल है आधी रात है' (बीवी नं. 1) और 'जानम समझा करो' के टाइटल सॉन्ग जैसे गानों को आवाज़ देने वाली हेमा सरदेसाई को पिछली बार फिल्म 'द कॉफिन मेकर' के गानों में सुना गया था।

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विनोद राठौड़ के छोटे भाई रूप कुमार राठौड़ भी 90 के दशक के पॉपुलर सिंगर और म्यूजिक कंपोजर हैं। उन्होंने 'राजा', 'बॉर्डर' और 'करीब' जैसी फिल्मों के गाने गाए हैं। उन्होंने पिछली बार 2018 में आए एल्बम 'आया है दूल्हा दुल्हन ले जाएगा' के दो सॉन्ग्स 'नशे के लिए शराब चाहिए' और 'खूबसूरत आपसा' को आवाज़ दी थी।

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जसपिंदर नरूला 90 के दशक की ऐसी सिंगर हैं, जिनकी आवाज़ का दीवाना हर वर्ग है। 'जुदाई जुदाई' (जुदाई), 'अंखियों से गोली मारे' (दूल्हे राजा) और 'एक मुलाक़ात जरूरी है सनम' (सिर्फ तुम) जैसे गानों की सिंगर जसपिंदर नरूला को पिछली बार 2014 में आई फिल्म 'चार साहिबजादे' के गाने 'वेला आ गया है' में सुना गया था।

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80 के दशक के अंत में 'चिट्ठी आई है' (नाम), 90 के दशक में 'जिएं तो जिएं कैसे' (साजन) और 'न कजरे की धार' (मोहरा) जैसे गानों के सिंगर पंकज उधास ने पिछली बार 2016 में आई फिल्म 'दिल तो दीवाना है' के गाने 'रात भर तनहा रहा' को आवाज़ दी थी। 

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के एस चित्रा ने 90 के दशक में 'साथिया तूने क्या किया' (लव), 'ये हसीं वादियां' (रोजा) और 'जहां पिया वहां मैं' (परदेस) जैसे गानों को आवाज दी थी। लगभग 10 साल के ब्रेक के बाद 2021  में फिल्म 'मराक्कर : लॉयन ऑफ़ अरेबियन सी' के गाने 'नन्हे कुंजली' से उन्होंने हिंदी सिनेमा में वापसी की है। हाल ही में रिलीज हुई अदिवी शेष स्टारर फिल्म 'मेजर' में भी उन्होंने एक गाने को आवाज़ दी है।

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90 के दशक की फिल्म 'लम्हे' के 'ये लम्हे ये पल हम', 'कभी मैं कहूं' ,'डर' के 'लिखा है ये' और 'हम साथ साथ हैं' के टाइटल सॉन्ग जैसे गानों को आवाज़ देने वाले हरिहरन फिलहाल साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं।  हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने पिछला गाना 2011 में फिल्म 'सरहदें' से 'गीत कब सरहदें' गाया था। 

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90 के दशक में 'काला शा काला' और 'कहीं करता होगा वो मेरा इंतज़ार' जैसे सुपरहिट सॉन्ग्स गाने वाली अनामिका लंबे समय से गायब हैं। पिछली बार 2021 में ऐसी खबर आई थी कि वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा के किसी प्रोजेक्ट पर काम करने वाली थीं। 2021 में उनका 'फेरारी' नाम से एक सिंगल भी आया था। 

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सुरेश वाडकर 90 के दशक के पॉपुलर सिंगर हैं। उन्होंने फिल्म 'चांदनी' के लिए 'लगी आज सावन की फिर वो घड़ी है', 'दिल' के लिए 'और प्रिया प्रिया' और 'हिना' के लिए 'देर न हो जाए' जैसे गानों को आवाज़ दी थी। पिछली बार हिंदी में उन्हें फिल्म 'हैदर' (2014) के एक गाने में सुना गया था। जबकि मराठी में उनका पिछला गाना 2015 में आई फिल्म 'मुंबई पुणे मुंबई 2' के लिए आया था। 

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लकी अली ने 90 के दशक की फिल्म 'दुश्मन दुनिया का' के लिए 'नशा नशा' और 'कहो न प्यार है' के लिए 'न तुम जानो न हम' जैसे गानों को आवाज़ दी। पिछली बार उनकी आवाज़ 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'तमाशा' के सॉन्ग 'सफरनामा' में सुनी गई थी।

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