बिजनेस डेस्क। आज वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश कर दिया। जैसी उम्मीद थी कि इस बजट में टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी और टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएगा, वैसा कुछ भी नहीं हुआ। कुल मिला कर इनकम टैक्स को लेकर बजट में किसी तरह का कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। इस साल भी बजट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिले हैं। इसके अलावा, बजट में एक बड़ी घोषणा यह की गई है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। उनका टैक्स बैंक से ही टीडीएस (TDS) के रूप में कट जाएगा। जानें, बजट में और क्या बदलाव सामने आए। (फाइल फोटो)
बजट में एक प्रावधान यह किया गया है कि 50 लाख से कम आय की चोरी के मामले में पुराने रिटर्न खोलने की सीमा 6 साल से घटा कर 3 साल कर दी गई है। इसके अलावा, 50 लाख से ज्यादा टैक्स चोरी का सबूत सामने आने के बाद ही 10 साल पुराने रिटर्न खोले जाएंगे। इसके लिए चीफ इनकम टैक्स कमिश्ननर की अनुमति जरूरी होगी। (फाइल फोटो)
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इस बजट में इनकम टैक्स फाइलिंग के तरीके में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। पहले की तरह ही इन्वेस्टमेंट पर टैक्स में छूट मिलती रहेगी। वहीं, नेशनल पेंशन सिस्टम ( NPS) के तहत 50 हजार रुपए तक की छूट मिलेगी। यह उन लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन है, जो युवा हैं और जिन्होंने अभी कोई खास इन्वेस्टमेंट नहीं किया है। (फाइल फोटो)
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इस बजट में इनकम टैक्स एक्ट 80C की लिमिट नहीं बढ़ी, जिसकी सबसे ज्यादा उम्मीद लगाई गई थी। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन भी नहीं बढ़ा। स्टैंर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपए से बढ़ा कर 80 हजार रुपए किए जाने की मांग थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। साथ ही इनकम टैक्स अधिनियम 80C के तहत मिल रही 1.5 लाख की छूट को बढ़ा कर 2 लाख रुपए भी नहीं किया गया, जबकि यह उम्मीद की जा रही थी कि इसे 2.5 लाख तक किया जा सकता है। (फाइल फोटो)
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इस बजट में पीएफ (PF) पर मिलने वाले ब्याज को टैक्सेबल इनकम में शामिल किया गया है। जो कर्मचारी पीएफ में 2.5 लाख रुपए या इससे ज्यादा कॉन्ट्रिब्यूशन करते हैं, उन्हें ज्यादा टैक्स देना होगा। इस पर मिलने वाले ब्याज को टैक्सेबल इनकम में शामिल किया जाएगा। यह सीमा 1 अप्रैल 2021 या इसके बाद किए जाने वाले अंशदान पर लागू होगी। (फाइल फोटो)
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इस बजट में उन कारोबारियों को राहत दी गई है, जिनका 95 फीसदी लेन-देन डिजिटल तौर पर हो रहा है। नियम के मुताबिक, 1 करोड़ टर्नओवर वाले कारोबारियों को अपना टैक्स ऑडिट कराना पड़ता है, लेकिन डिजिटल लेन-देन करने वाले 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को ऑडिट से राहत दी गई थी। अब यह सीमा बढ़ा कर 10 करोड़ रुपए कर दी गई है। यानी 10 करोड़ टर्नओवर वाले कारोबारियों को डिजिटल ट्रांजैक्शन करने पर टैक्स का ऑडिट नहीं कराना होगा। (फाइल फोटो)
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इस बजट में केंद्र सरकार ने फेसलेस असेसमेंट और अपील के बाद अपीलेट ट्रिब्यूनल को भी फेसलेस बनाने का प्रावधान रखा है। सरकार फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर बनाएगी। इस ट्रिब्यूनल और अपीन करने वाले व्यक्ति के बीच होने वाला सारा पत्राचार इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होगा। वहीं, सुनवाई की जरूरत होने पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का माध्यम अपनाया जाएगा। (फाइल फोटो)
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पिछले साल सरकार ने कंपनियों से मुनाफे के हिस्से के तौर पर मिलने वाले डिविडेंड के डिस्ट्रीब्यूशन पर टैक्स को हटा दिया था। यह जिम्मेदारी निवेशकों पर छोड़ी गई थी। अब इसमें राहत बढ़ाते हुए टीडीएस से छूट दी गई है। वहीं, डिविडेंट से होने वाली इनकम पर भी टैक्स नहीं लगेगा। (फाइल फोटो)
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इस बजट में सरकार ने अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत 45 लाख रुपए तक का मकान करीदने पर 1.5 लाख रुपए तक के ब्याज पर मिलने वाली अतिरिक्त छूट को जारी रखा है। 31 मार्च, 2022 तक नया मकान खरीदने पर टैक्स से छूट मिलती रहेगी। (फाइल फोटो)