Demonetisation का नहीं हुआ असर, देश में बढ़ा नगदी का Trend, कोरोनाकाल में लोगों ने भरी तिजोरियां

Published : Nov 05, 2021, 11:42 AM ISTUpdated : Nov 05, 2021, 02:36 PM IST

बिजनेस डेस्क। देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है। छोटी-छोटी खरीददारी (shopping) के लिए ऐप और अन्य ऑनलाइन तरीकों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। वहीं रिकॉर्ड कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं। सरकार द्वारा नोटबंदी (Demonetisation) के ऐलान के 5 साल बाद भी लोगों की जेब नोटों से भरी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नकद भुगतान(payment) के जरिए इस समय बाजार में मौजूद currency अपने उच्चतम स्तर (highest level) पर पहुंच गई है। देखिए क्या कहते हैं आकंड़े...

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Demonetisation का नहीं हुआ असर, देश में बढ़ा नगदी का Trend, कोरोनाकाल में लोगों ने भरी तिजोरियां

सरकार द्वारा नोटबंदी (Demonetisation) के ऐलान के 5 साल बाद भी लोगों के पास करेंसी  लगातर बढ़ रही है। नकद भुगतान के जरिए लोगों के पास इस समय मौजूद करेंसी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।  8 अक्टूबर, 2021 को खत्म हुए पखवाड़े में लोगों के पास करेंसी 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई स्तर पर रही थी। ये आंकड़ा 4 नवंबर, 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये के स्तर से 57.48 फीसदी या 10.33 लाख करोड़ रुपये अधिक है। 25 नवंबर, 2016 को दर्ज 9.11 लाख करोड़ रुपये से लोगों के पास नकदी 211 फीसदी बढ़ी है। ( फाइल फोटो)

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सिस्टम में बढ़ रही है नकदी
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 23 अक्टूबर, 2020 को समाप्त पखवाड़े में दिवाली त्योहार से पहले लोगों के पास करेंसी में 15,582 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी, वार्षिक आधार पर इसमें 8.5 फीसदी या 2.21 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। बता दें कि नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट वापस लेने के बाद लोगों के पास करेंसी, जो 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये थी, जनवरी 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई थी।

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केंद्र सरकार और RBI लगातार कोशिशें कर रहा है देश  लेस कैश की तरफ बढ़े।  वहीं इन तमाम प्रयासों के बावजूद देश में नकद कारोबार बढ़ रहा है। वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि पेमेंट के डिजिटलीकरण और विभिन्न लेनदेन में नकदी के उपयोग पर बैन लगाकर ही इसे रोका जा सकता है। 

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नगदी बढ़ने का क्या है कारण
कोरोनाकाल में लॉकडाउन और बैंकों से कैश भुगतान की अनिश्चितता को लेकर लोगों ने घरों में कैश जुटाकर रखा था। वहीं बैंकों से होने वाले नगदी भुगतान की लिमिट भी इसके लिए जिम्मेदार। लोगों ने इलाज के खर्चे और अन्य जरुरतों के लिए बैंकों से धन की जमकर निकासी की है। वहीं नगदी लेनेदेने से आने वाले धन को घर पर रखा है। इससे बाजार में  नगदी का सर्कुलेशन ज्यादा हुआ है।  

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RBI की दी गई जानकारी के मुताबिक, लोगों के पास करेंसी की गणना सर्कुलेशन में कुल करेंसी (CIC) से बैंकों के पास नकदी की कटौती के बाद की जाती है। CIC एक देश के भीतर कैश या करेंसी को के आंकड़ों का विश्लेषण करता है, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच लेनदेन करने के लिए फिजिकल रूप से उपयोग किया जाता है। ( फाइल फोटो)

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आठ नवंबर, 2016 की रात आठ बजे पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राष्ट्र के संबोधन में  500 एवं 1000 रुपये के करेंसी नोट को प्रचलन से बाहर करते हुए उनके लीगल टेंडर (वैध मुद्रा) नहीं होने का ऐलान किया था। इसे नोटबंदी को ही विमुद्रीकरण कहा जाता है। नोटबंदी या विमुद्रीकरण का अर्थ है किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे किसी भी काम के नहीं रहते। न ही उनसे कोई लेन देन किया जा सकता है, न ही कुछ खरीदा जा सकता है। 

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कुछ देशों में ये तरीका बाजार में नकली नोट को हटाने और अधिकतर धन बैंकों में वापस लाने के लिए किया जाता है। देश में बाजार में अतिरिक्त धन को वापस लाने के लिए ये कदम उठाया गया गया था, लेकिन अब आंकड़े उम्मीद के विपरीत है। 
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