Published : Feb 20, 2020, 01:22 PM ISTUpdated : Feb 20, 2020, 02:03 PM IST
बिजनेस डेस्क। भारत में खेती किसानी के तौर तरीके बदल रहे हैं। इस बदलाव की वजह से गांवों में किसानों की जिंदगी भी बदल रही है। अब मधुमक्खी और मत्स्य पालन से किसान काफी मुनाफा कमा रहे हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसान तो अमेरिका और बांग्लादेश में पाई जाने वाली मछली के पालन और व्यवसाय से एक नई कहानी ही गढ़ रहे हैं।
सतना के ग्रामीण अंचलों में चीतल मछ्ली के पालन का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। चीतल दुर्लभ किस्म की मछली है। विपरीत क्लाइमेट की मछली को सतना के किसानों ने पालकर करिश्मा ही कर दिया। ताज्जुब होगा मगर मार्केट में एक चीतल की कीमत करीब 1500-1800 रुपये के बीच होती है। जबकि इसका मांस पांच सौ से सात सौ रुपये किलो तक बिकता है।
25
पहली बार दशरथ मल्लाह ने सतना में चीतल को पालकर सबको हैरान कर दिया था। मत्स्य पालन की तकनीक सीखने के बाद दशरथ ने चीतल की फार्मिंग की। इस काम में मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग ने दशरथ की मदद की थी। चीतल से मुनाफे ने उनकी बदहाल जिंदगी में खुशहाली के रंग भर दिए।
35
दशरथ की देखादेखी सतना के और किसानों ने भी चीतल की फार्मिंग शुरू की। किसानों को सरकार की ओर से मदद भी मिलती है। अब सतना में कई किसान मत्स्य पालक हैं। किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा है।
45
आम मछलियों के मुकाबले विपरीत क्लाइमेट की मछली चीतल के पालन में काफी मुश्किलें आती हैं। मगर इसके लिए खास प्रशिक्षण प्राप्त कर किसानों ने मेहनत की और उसका फल दिख रहा है। मध्य प्रदेश में सतना के अलावा बिहार के साथ देश के कुछ और राज्यों में चीतल की फार्मिंग होती है।
55
तैयार होने एक चीतल मछली 7 से 8 किलो वजन तक की होती हैं। चीतल के मांस में भरपूर प्रोटीन और औषधीय गुण होते हैं। यही वजह है कि इंटरनेशनल मार्केट में चीतल की काफी मांग है और इसके लिए बढ़िया कीमत मिलती है।