इस बार राखी कारोबार पर पड़ी है कोरोना की मार, 60 से 70 फीसदी बिक्री घटने का अंदेशा

बिजनेस डेस्क। राखी का त्योहार नजदीक आ रहा है। लेकिन इस साल राखी के कारोबार पर कोरोनावायर महामारी की मार पड़ती साफ दिखाई पड़ रही है। राखी के बड़े कारोबारियों ने बिक्री घटने के अंदेशे की वजह से माल कम खरीदा, वहीं छोटे व्यापारी भी कारोबार में मंदी और पैसे की कमी के चलते ज्यादा माल नहीं खरीद रहे। देश के राखी मार्केट में पहले की तरह चहल-पहल नहीं है। चाइनीज माल के बहिष्कार का भी कुछ असर राखी के व्यवसाय पर पड़ सकता है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2020 6:42 AM IST / Updated: Jul 29 2020, 12:22 PM IST
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इस बार राखी कारोबार पर पड़ी है कोरोना की मार, 60 से 70 फीसदी बिक्री घटने का अंदेशा

देश में राखी का कारोबार 5 से 6 हजार करोड़ का
देश में राखी का कुल कारोबार 5 हजार करोड़ से 6 हजार करोड़ रुपए तक का होता है। राखी निर्माण का मुख्य केंद्र पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गुजरात है। 

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60 से 70 फीसदी बिक्री घटने का अंदेशा
कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से कारोबार पर बहुत खराब असर पड़ा है, वहीं हर तरह के व्यापारियों के पास नकदी की कमी हो गई है। पिछले साल की तुलना में राखी का उत्पादन नहीं हुआ है। कारोबारियों ने इस साल राखी की बिक्री में 60 से लेकर 70 फीसदी कमी आने का अंदेशा जताया है।

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चीनी माल के बहिष्कार का असर
राखी निर्मातओं का कहना है कि चीन से बनी-बनाई राखी नहीं मंगवाई जाती थी, बल्कि राखियों में इस्तेमाल किया जाने वाला सजावटी सामान जैसे फोम, स्टोन, चमकीली पन्नी वगैरह आयात किए जाते थे। एक अनुमान के मुताबिक, 1000 से 1,200  करोड़ रुपए तक के राखी से जुड़े सजावटी आइटम इम्पोर्ट किए जाते थे। यह सामना पिछले साल ही आ चुका था, इसलिए चीनी माल के बहिष्कार का असर कारोबार पर नहीं पड़ सकता।

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50 से 60 फीसदी राखियां बनती हैं पश्चिम बंगाल में
देश में राखी निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र पश्चिम बंगाल है, जहां 50 से 60 फीसदी तक राखियां बनती हैं। इसके बाद दिल्ली, मुंबई और गुजरात का स्थान आता है। यहां भी बड़े पैमाने पर राखियां बनाई जाती हैं।

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2000 से 2500 करोड़ रुपए तक रह सकता है कारोबार
राखी के बड़े कारोबारियों का मानना है कि इस साल राखी का बाजार 2000 से 2500 करोड़ रुपए तक का रह सकता है। पश्चिम बंगाल के प्रमुख राखी निर्माताओं का कहना है कि ज्यादातर ऑर्डर आ चुके और अब नए ऑर्डर आने की की कोई संभावना नहीं है। दिल्ली के एक प्रमुख थोक राखी विक्रेता का कहना है कि इस बार दूसरे राज्यों से व्यापारी नहीं आए, ज्यादातर ऑर्डर फोन पर ही मिले। 

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मंदी की जबरदस्त मार
दिल्ली के राखी कारोबारियों का कहना है कि कोरोनावायर महामारी की वजह से इस साल राखी का कारोबार सबसे खराब रह सकता है। कोरोनावायरस के डर से खुदरा व्यापारी भी सामने नहीं आ रहे हैं। एक थोक राखी विक्रेता का कहना है कि पिछले साल 90 लाख रुपए की राखी बिकी थी, लेकिन इस साल 30 लाख का माल भी नहीं बिक पाया।
 

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1 रुपए से 70 रुपए तक की बिक रही है राखी
दिल्ली के सदर बाजर में 1 रुपए से लेकर 70 रुपए तक की राखी बिक रही है। बच्चों के लिए पबजी और अवेंजर डिजाइन वाली राखी 5 से 15 रुपए की कीमत में बिक रही है, वहीं कार्टून ब्रांड मोटू पतलू राखी 3 रुपए से 10 रुपए, मेटैलिक राखी 180 रुपए से 300 रुपए दर्जन और एंटीक राखी 600 से 750 रुपए दर्जन बिक रही है।

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