आखिर क्यों फ्री कॉल और डेटा सर्विस देने वाली मुकेश अंबानी की जियो ने किया 'टैरिफ वॉर' का विरोध?

Published : Mar 19, 2020, 04:34 PM ISTUpdated : Mar 19, 2020, 04:50 PM IST

बिजनेस डेस्क: कभी फ्री कॉल और डेटा सर्विस देकर टैरिफ वॉर शुरू करने वाली रिलायंस जियो अब फ्री सर्विस के खिलाफ हो गई है। सरकार की कोशिशों से रिवाइवल की तैयारी कर रहीं बीएसएनएल और एमटीएनएल के एक प्रस्ताव के बाद जियो का यह रुख सामने आया है। रिलायंस जियो के अलावा वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने भी मिनिमम टैरिफ प्लान तय करने की बात कही है। हालांकि सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने टैरिफ वॉर में कूदने की बात कही है।    

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आखिर क्यों फ्री कॉल और डेटा सर्विस देने वाली मुकेश अंबानी की जियो ने किया 'टैरिफ वॉर' का विरोध?
दरअसल, दोनों सरकारी कंपनियों ने टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) को सुझाव दिया है कि 15% से कम मार्केट शेयर वाली कंपनियों को फोन कॉल और डेटा के मिनिमम रेट के नियम से छूट मिलनी चाहिए। लेकिन जियो ने इसका विरोध किया है।
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संकट से जूझ रही सैकड़ों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने हाल ही में अपने कई कर्मचारियों को वीआरएस दिया है जिसके बाद उसके सैलरी के बोझ में कमी आई है। दोनो सरकारी कंपनी अपने कस्टमर बेस को बढ़ाना चाहते हैं। इस कदम का रिलायंस जियो ने विरोध किया है, जिसकी एंट्री के बाद से ही बीते करीब 4 सालों में टैरिफ वॉर तेज हुई थी।
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गौरतलब है की दोनों सरकार कंपनियों की टेलीकॉम मार्केट में 15 फीसदी की ही हिस्सेदारी है। जबकि प्राइवेट टेलिकॉम सेक्टर में जियो का सबसे ज्यादा 32.14% शेयर था ऐसे में दोनों सस्ते डेटा और कॉलिंग प्लान्स के जरिए अपनी मौजूदगी को बढ़ाना चाहती हैं। रिलायंस जियो का कहना है कि फ्री अनलिमिटेड आउटगोइंग कॉल्स की सुविधा नहीं दी जा सकती।
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एयरटेल, वोडाफोन और रिलायंस जियो ने ट्राई से मांग की है कि उसकी ओर से कॉल और डेटा सर्विसेज की न्यूनतम कीमतें तय होनी चाहिए। इसके बाद ट्राई ने सभी कंपनियों से सुझाव मांगे हैं। फिलहाल सभी कंपनियां अपने मुताबिक प्लान्स के रेट तय करने को स्वतंत्र हैं, लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते स्थिति विकट हो गई है। ऐसे में इन कंपनियों ने कीमतों को तय करने के लिए ट्राई से दखल देने की गुहार लगाई थी।
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दिसंबर 2019 तक के ट्राई के डेटा के मुताबिक टेलीकॉम मार्केट के कारोबार में बीएसएनएल की हिस्सेदारी 10.26 पर्सेंट है, जबकि एमटीएनएल की हिस्सेदारी महज 0.29 फीसदी है। बता दें कि एमटीएनएल मुंबई और दिल्ली में अपनी सेवाएं देती है, जबकि बीएसएनएल की ओर से पूरे देश में टेलीकॉम सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं।
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मौजूदा नियमों के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियां कॉल और डेटा चार्ज तय करने के लिए फ्री हैं, लेकिन बढ़ते हुए कॉम्पिटीशन को देखते हुए उन्होंने इस मामले में ट्राई से दखल देने और मिनिमम प्राइस तय करने की मांग की है। ट्राई ने इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से राय मांगी है।
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अगर ट्राई ने प्राइवेट टेलिकॉम ऑपरेटर्स की बात मान ली तो जो 1जीबी 4जी डेटा अभी कम से कम 3.5 रुपए में मिल रहा है उसकी कीमत 5-10 गुना बढ़ जाएगी।

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