भाई को व्हील चेयर पर बैठा इंटरव्यू दिलवाने खींचकर ले गई बहन...ऐसे अफसर बना था ये गरीब लड़का
पटना. आज का समय इतना आधुनिक हो गया है कि लोग हिंदी बोलने वाले को अनपढ़ या गंवार कहने लगते हैं। गांव के लोगों को हिंदी मीडियम से पढ़ने के कारण ये ताना झेलना पड़ता है। पर इलाहाबाद में जिस लड़के को लोग संस्कृत पढ़ने और बोलने की वजह से गंवार समझते थे उसने सिविल सर्विस पास कर इतिहास रच दिया। इतना ही नहीं उसे व्हील चेयर पर बैठा उसकी बहन इंटरव्यू दिलवाने अकेले खींचकर लेकर गई थी। संस्कृत के विद्वानों के परिवार में पला-बढ़ा ये लड़का बड़ा अधिकारी बन चुका है। IAS, IPS IRAS सक्सेज स्टोरी में हम आपको बिहार के आदित्य कुमार झा के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं।
Asianet News Hindi | Published : Apr 8, 2020 11:56 AM IST / Updated: Apr 08 2020, 05:30 PM IST
बिहार के सुदूर मधुबनी ज़िले के एक गांव लखनौर में जन्में आदित्य कुमार झा के पिताजी संस्कृत के प्रोफेसर रहे हैं। घर में सभी संस्कृत के विद्वान शिक्षक ही हुए। आदित्य खुद तीन भाई हैं। पिताजी ने आगे बढ़ने के लिए उन्हें कक्षा 6 में बड़े भाई के साथ इलाहाबाद भेज दिया। इलाहाबाद पहुंचने के बाद आदित्य ने मन में सिविल सर्विस पास करने की ठान ली।
उनके बड़े भाई खुद UPSC की तैयारी में जुटे थे तो आदित्य को भी शौक चढ़ गया। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने भूगोल, संस्कृत एवं राजनीति विज्ञान को BA के विषय के रूप में चयनित किया। फिर MA करने के वो दिल्ली गए। उस समय सीसैट को ट्रेंड में देख उन्होंने दिल्ली में इसकी कोचिंग ली।
फिर आदित्य ने राज्य सिविल सेवा की ओर रुख किया। इसी बीच IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के रूप में पहली सफलता प्राप्त हुई। यह निर्णय किया कि IB जॉइन नहीं करनी है। इस बात पर उनके पिताजी नाराज भी हो गए। सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास 2015 की मेन एग्जाम आदित्य ने पूरे उत्साह से दिया।
आदित्य बताते हैं कि मैंने 2015 के मुख्य परीक्षा में फेल होने के बाद साल 2016 की परीक्षा दी। टेस्ट सीरीज, सामान्य अध्ययन भी औसत से बेहतर हो चली थी। मुख्य परीक्षा में संतोषजनक प्रदर्शन के उपरांत एटा जिले में जिला बचत अधिकारी के रूप में जॉइन कर लिया।
यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में सफल होने पर आदित्य के परिवार के लोग बहुत खुश थे। आदित्य ने वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत को चुना और UPSC में सफलता पाई। उसी रात लगभग 9 बजे वो एक दुर्घटना का शिकार हो गए और पैर फ्रैक्चर हो गया। फिर अगले दो माह बिस्तर पर पड़े-पड़े इंटरव्यू की तैयारी की। इंटरव्यू के ठीक पहले पैर में फ़्रैक्चर हो जाने पर भी आत्मविश्वास नहीं खोया और व्हीलचेयर पर बैठकर इंटरव्यू देने की ठानी।
यहां मॉक इंटरव्यू के लिए आदित्य की बड़ी बहन उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाकर लेकर गईं। मुखर्जी नगर से राजेन्द्र नगर जगह-जगह घूमकर वो दोनों पहुंचे। आखिरकार सफलता मिली और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार सिविल सेवा’ में चयनित हो गए।
अंतिम परिणाम में जैसे ही आदित्य ने अपना नाम 503वें स्थान पर देखा तो मानो सहसा विश्वास नहीं हुआ। इसी उत्साह को निरन्तर रखते हुए सिविल सेवा परीक्षा 2017 की मुख्य परीक्षा दी और IRAS के प्रशिक्षण को जॉइन किया। 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 431 रैंक पर DANICS सेवा हेतु चयन प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं आदित्य साल 2018 में भी यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं और उन्होंने 339 रैंक हासिल की थी।