मनोज कहते हैं कि जिंदगी कब नये रास्ते पर चल पड़े, कोई नहीं जानता। वाट्सऐप ग्रुप पर खेती-किसानी से संबंधित वीडियो और नई-नई जानकारियां आती थीं। इन्हें देख-देखकर उन्हें खेती-किसानी में दिलचस्पी बढ़ती गई। फिर मनोज ने खेती-किसानी के तरीके सीखे। यह और बात है कि शुरुआत में जब मनोज ने गन्ना उगाया, तो काफी परेशानी हुई। चीनी मिलों के चक्कर काटने पड़े, लेकिन बाद में सही रास्ता मिल गया।