फीस जमा करने पिता ने बेच दी थी जमीन, ऐसे सफाई कर्मचारी के बेटे ने IPS बन नाम कर दिया रोशन
नई दिल्ली. दोस्तों यूपीएससी परीक्षा के लिए देश में हर साल सैकड़ों लाखों बच्चे तैयारी करते हैं। पर बहुत कम ही हैं जिनकी मेहनत रंग ले आती है। न जाने कितने बच्चे गरीबी और सुविधाओं की कमी होते हुए भी दिन-रात एक कर इन परीक्षाओं में सफलता हासिल कर इतिहास रच देते हैं। ऐसे ही एक सफाई कर्मी के बेटे ने आईपीएस बन न सिर्फ पिता का बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया। उनकी सारी जिंदगी गरीबी और लाचारी में गुजरी। घर कच्चा था जो बरसात में टपकता था, कोचिंग लेने के पैसे तक नहीं थे फिर भी सेल्फ स्टडी के बलबूते इस लड़के ने देश का बड़ा अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। आइए जानते हैं इनके संघर्ष की प्रेरणाभरी कहानी......
Asianet News Hindi | Published : Feb 9, 2020 5:15 AM IST / Updated: Feb 09 2020, 10:50 AM IST
नूर का जन्म यहां छोटे से गांव हररायपुर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। पिता जी खेती करते थे। वह बेहद गरीबी में पले बढ़े हैं। स्कूल की छत टपकती थी तो घर से बैठने के लिए कपड़ा लेकर जाते थे। माता—पिता के अलावा दो छोटे भाई हैं। उनकी परवरिश और पढ़ाई का दबाव भी उन्हीं पर था। उसके बाद उन्होंने ब्लॉक के गुरुनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की और स्कूल टॉपर बने।
नूर का जन्म यहां छोटे से गांव हररायपुर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। पिता जी खेती करते थे। वह बेहद गरीबी में पले बढ़े हैं। स्कूल की छत टपकती थी तो घर से बैठने के लिए कपड़ा लेकर जाते थे। माता—पिता के अलावा दो छोटे भाई हैं। उनकी परवरिश और पढ़ाई का दबाव भी उन्हीं पर था। उसके बाद उन्होंने ब्लॉक के गुरुनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की और स्कूल टॉपर बने।
उसके बाद उनके पापा की चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति हो गई तो वह बरेली आ गए। यहां उन्होंने मनोहरलाल भूषण कॉलेज से 75 प्रतिशत के साथ 12वीं की। इस समय वह एक मलिन बस्ती में रहते थे। यहां नूर के घर में बरसात में पानी भर जाता था, छत टपकती थी लेकिन वह उसी हाल में पढ़ते थे। नूर ने भारी मुश्किलों में पढ़ाई की और अपने लक्ष्य को साध लिया।
12वीं के बाद नूर का सलेक्शन एएमयू अलीगढ़ में बीटेक में हो गया, लेकिन फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस पर उनके पापा ने गांव में एक एकड़ जमीन बेच दी और फीस भरी। उन्होंने खूब पढ़ाई की। इसके बाद गुरुग्राम की एक कंपनी में उनका प्लेसमेंट हो गया। यहां की सैलेरी से घर की जरूरतें पूरा करना मुश्किल था तो भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीटयूट की परीक्षा दी और नूर का चयन तारापुर मुंबई में वैज्ञानिक के पद पर हो गया।
नौकरी के साथ नूर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। फिर साल 2015 में आईएएस में उनका चयन हो गया। सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में नूर ने पब्लिक एडमिनिस्टेशन को चुना था। नूर अपनी सफलता पर बात करते हुए भावुक हो जाते हैं, वे गरीबी के दिन याद करते हैं और पिता के जमीन बेच देने की बात को भी। आज नूर भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत हैं और महाराष्ट्र में ASP के पद पर तैनात हैं।
नूर ने मीडिया से बात करते हुए बताया, 'मुझे खेलने और पढ़ने का शौक है। मैं गांव में खेतों पर जाता था तो किताबें साथ लेकर जाता था। सात—आठ साल की उम्र से अखबार पढ़ता हूं। अखबार खरीदने के पैसे नहीं थे तो होटलों पर जाकर पढ़ता था।'
यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को भी नूर ने संदेश दिया। वह कहते हैं, 'गरीबी को कोसें ना। जो भी संसाधन हैं उन्हीं के बीच तैयारी करें। बस अपनी मेहनत और लगन के साथ समझौता न करें। मैं युवाओं से कहूंगा कि भारत देश बहुत प्यारा है, देश की प्रगति के लिए शिक्षित बनें। मेहनत के बल पर आगे बढ़ें।'
इतना ही नहीं एएसपी नूर गरीब बच्चों की मदद के लिए यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं जिस पर वह आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आईआरएस अधिकारियों की मदद से छात्रों को फ्री कोचिंग और गाइडेंस देते हैं।