अबला बोस के साथ कामिनी रॉय को भी इतिहास में याद किया जाता है। वो भारत की पहली ग्रेजुएट महिला थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं को मताधिकार दिलाने के आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई थी। इसके अलावा वह एक उच्चकोटि की साहित्यकार और कवियित्री थीं 1920 में भारत में मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार हो रहे थे और अलग-अलग राज्यों (प्रॉविंसेज) में भारतीय जनता को उत्तरदायी सरकार चुनने का मताधिकार मिलना था।
हालांकि यह मताधिकार काफी सीमित था जिसमें शिक्षित और धनी वर्ग ही वोट देने का अधिकार था। गरीब, अशिक्षित, निम्न वर्ग और महिलाओं का एक बड़ा वर्ग इन मताधिकारों से वंचित था। कामिनी रॉय ने कुमुदिनी मित्रा और मृणालीनी सेन जैसी महिलाओं के साथ 'बंगीय नारी समाज' की स्थापना की और महिलाओं के मताधिकार के लिए बंगाल प्रॉविंस में एक आन्दोलन खड़ा किया। इस आंदोलन ने बंगाली महिलाओं को मताधिकार प्रदान करने में एक अहम भूमिका निभाई और 1926 में उन्हें यह महत्वपूर्ण अधिकार मिला।