सुरेश के अफसर बनने का संघर्ष
सुरेश कहते हैं कि इससे पहले गांव वालों को हैदराबाद और किसी दूसरे शहर जाने के लिए, 3 किमी तक रेलवे लाइन के किनारे चलना पड़ता था। यहां तड़लापल्ली (Tadlapussally) रेलवे स्टेशन है। इसी बीहड़ गांव से निकल सुरेश ने अफसर बने हैं। वे बचपन में अस्थाई स्कूल में कभी-कभी पढ़ने जाते थे। लेकिन, एक जमींदार उनकी देखभाल और पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठा लिया।
वह कहते हैं, “सुरेश बेहद गरीब मजबूर परिवार से थे उनके दादा जमींदार के खेत में काम करते थे। जमींदार ने पोते को देख घरेलू कामों के लिए रखने की बात कही। और इस तरह सुरेश उस जमींदार के घर छोटे-मोटे काम करने लगे। जमींदार ने सुरेश की पढ़ाई और देखभाल के लिए आर्थिक मदद करने की भी बात कही थी। इसके बाद सुरेश के दादा राजी हो गए और वह जमींदार के घर पर काम करने लगे।