अंग्रेजी से डराते हुए लोग बोलते थे, तुमसे ना हो पाएगा; हिंदी के जरिए IAS अफसर बनकर माना ये शख्स
करियर डेस्क: तमाम परीक्षाओं में अंग्रेजी का बहुत हौवा रहता है। खासकर यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम को लेकर यह भ्रम है कि अगर आप अंग्रेजी मीडियम से पढ़े नहीं हैं तो कहीं न कहीं फेल हो ही जाएंगे और आईएएस बनने में मुश्किल होगी। लेकिन निशांत जैन की कहानी इससे बिल्कुल अलग है।
निशांत जैन उत्तर प्रदेश के मेरठ से हैं। उनका सपना बचपन से ही आईएएस अफसर बनने का था। निशांत उस भ्रम को भी तोड़ना चाहते थे कि हिंदी मीडियम का बच्चा आईएएस नहीं बन सकता है। दरअसल, इन्होंने अफसर बनने का ख्वाब तब देखना शुरू किया जब उन्हें राशन की कतार में लगना पड़ा।
राशन की दुकान पर तमाम अनियमितताएं होती थीं। और जब निशांत राशनकार्ड देखते थे तो उस पर लिखा होता था "खाद्य वितरण अधिकारी।" निशांत को लगा कि ये शख्स यानी अधिकारी इन चीजों को सुधार सकता है। तभी से उन्होंने अफसर बनने का मन बना लिया था।
10वीं की परीक्षा पास करने के बाद निशांत के सामने यह कन्फ़्यूजन था कि किधर जाए। संसाधनों की कमी थी। घर की माली हालत ठीक नहीं थी। 10वीं के बाद निशांत ने प्रूफ रीडर के रूप में पार्ट टाइम नौकरी भी शुरू कर दी। एक रुपये पर पेज के हिसाब से निशांत को मेहनताना मिलता था। पार्ट टाइम नौकरी के साथ निशांत ने 12वीं तक की पढ़ाई की।
आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी जाना चाहते थे, मगर संसाधनों की कमी की वजह से नहीं जा पाए। मेरठ में ही कॉलेज की पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान सरकारी नौकरियों की परीक्षा में शामिल होना भी शुरू कर दिया। ग्रैजुएशन खत्म करते करते डाक विभाग में क्लर्क के पद पर चयन भी हो गया। नौकरी जॉइन कर ली। इस नौकरी की वजह से निशांत को पढ़ाई का समय नहीं मिल पा रहा था।
नौकरी के दौरान निशांत को उनके एक सीनियर मिले और सलाह दी कि उन्हें इससे बेहतर की तैयारी करनी चाहिए। निशांत को बात अच्छी लगी और उन्होंने अपना सपना पूरा करने सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया। नौकरी छोड़ने के बाद निशांत ने मास्टर्स कंप्लीट किया। यूजीसी की परीक्षा में जेआरफ कंप्लीट किया और दिल्ली यूनिवर्सिटी में एमफिल करने पहुंच गए।
दिल्ली में निशांत ने आईएएस की तैयारी भी शुरू कर दी। मगर पहली बार में ही प्री में असफल हो गए। इसके बाद काफी निराश हो गए और संसद में अनुवादक की जॉब नौकरी जॉइन कर लिया। लेकिन कुछ समय बाद निशांत ने फिर हिम्मत जुटाई और दोबारा आईएएस की परीक्षा में बैठे। इस बार तैयारी अच्छी थी और निशांत ने प्री मेंस इंटरव्यू क्वालिफ़ाई कर लिया।
निशांत को 13वीं रैंक मिली थी। उन्होंने हिन्दी माध्यम से परीक्षा दी थी और हिन्दी में वो पहली रैंक पर थे। निशांत का मानना है कि आपमें जज्बा होना चाहिए। भले ही आप किसी भी माध्यम से पढे लिखे हों।