12वीं में फेल लेकिन इरादे थे मजबूत..अमीर घरों का कुत्ता घुमाने वाला गरीब लड़का ऐसे बना IPS अफसर
नई दिल्ली. फेल होना हमेशा माथे पर कलंक के समान माना जाता है। कलेज और स्कूल लाइफ में किसी क्लास में फेल होना बहुत से बच्चों के लिए डिप्रेशन का कारण भी बन जाता है। फेल होने वाले बच्चे को कमजोर और नकारा समझ लिया जाता है। ऐसे ही एक स्टूडेंट 12वीं में फेल हो गया और इस फेलियर ने उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल डाली। पर वहीं लड़का महाराष्ट्र कैडर में आईपीएस बना। ये कहानी है IPS अफसर मनोज कुमार की। IPS सक्सेस स्टोरी में आज हम आपको 12वीं में फेल, टैंपो में कंडक्टरी और फिर अमीर घरों में कुत्ता घुमाने वाले मनोज के IPS बनने तक का सफर बताएंगे।
Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2020 6:31 AM IST / Updated: Mar 26 2020, 12:05 PM IST
मनोज की कहानी से आप जानेंगे, हम एक बार कुछ ठान लें तो उसे कर पाने का हर नामुमकिन रास्ता भी पार कर जाते हैं। मनोज 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से IPS ऑफिसर हैं। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जन्मे मनोज 12वीं तक पढ़ाई में मामूली छात्र रहे। वे नौवीं, दसवीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन से पास हुए थे। 12वीं में नकल नहीं कर पाए तो फेल हो गए थे। उनकी छवि एक कमजोर स्टूडेंट की थी।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी। तब मनोज को लगा ऐसा पॉवरफुल आदमी कौन है जिसकी बात सब मान रहे हैं। उन्हें भी ऐसा ही बनना है।
12वीं में फेल होने के बाद मनोज अपने भाई के साथ टेंपो चलाते थे। एक दिन टेंपो पकड़ गया एसडीएम से मिलकर टेंपो छुड़ाने की बात करनी थी। मनोज उनसे मिलने तो गए लेकिन टेंपो छुड़वाने की बात करने की बजाय ये पूछा, आपने तैयारी कैसे की। तय कर लिया अब यही बनेंगे। मनोज अपने घर ग्वालियर वापस आए। पैसे की तंगी थी कई बार उनके पास खाने तक को कुछ नहीं होता था। फिर उन्हें चपरासी का काम मिला। वो कवियों या विद्वानों की सभाओं में बिस्तर बिछाने, पानी पिलाने का काम करने लगे।
इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। तैयारी करने वो संघर्ष कर दिल्ली आए यहां रहने खाने के लिए पैसों की जरूरत होती थी। ऐसे में वो अमीर घरों के कुत्ते टहलाने का काम करने लगे जिसके लिए उन्हें 400 रुपये प्रति कुत्ता मिलता था। इससे उनका खर्च चल जाता था।
इसके बाद मनोज को विकास दिव्यकीर्ति नाम के शिक्षक ने बिना फीस एडमिशन दे दिया। पहले अटेंप्ट में ही मनोज ने प्री क्लीयर कर लिया। यहां उनका मन थोड़ा मजबूत हो गया हिमम्त मिली कि कुछ कर सकता हूं। पर 12वीं फेल का ठप्पा पीछा नहीं छोड़ता था। वो एक लड़की से प्यार करते थे लेकिन कभी दिल की बात नहीं बोली थी। डर था वो ये कह न दे 12वीं फेल हो।
पर दूसरे, तीसरे अटेंप्ट तक लड़की से प्यार का इजहार कर दिया। उससे कहा कि तुम हां करो, साथ दो तो दुनिया पलट सकता हूं। लड़की मान गई और मनोज ने दोगुनी तैयारी की। बता दें कि 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं।
यह फिर चौथे अटेम्प्ट में यूपीएससी की परीक्षा 121वीं रैंक के साथ पास कर आईपीएस बन गए। बता दें कि मनोज ग्वालियर से पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद पीएचडी भी पूरी कर चुके हैं। मनोज की लाइफ और संघर्ष पर लेखक अनुराग पाठक ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’ किताब भी लिख चुके हैं।