IAS बनने करना पड़ा कलेजे के टुकड़े को खुद से दूर, रूला देगी मां के संघर्ष की ये कहानी

लखनऊ. आज मदर्स डे (Mother's Day 2020) और पूरे देश में आज माओं के संघर्ष और त्याग के लिए ये दिन मनाया जाता है। लोग जानते हैं धरती पर एक मां ही है जो अपने बच्चे के लिए किसी भी तरह का त्याग और संघर्ष कर उसे इंसान बनाती है। दुनिया भर में न जाने कितनी ऐसी माएं भी हैं जिन्होंने घर परिवार की जिम्मेदारी के साथ अपना करियर भी संवारा है। इसके लिए कई बार वो पत्थर दिल बन बच्चों से दूर भी हुई हैं। हालांकि एक मां के लिए अपने जिगर के टुकड़े से दूर जाना सोच कर ही दिल सिहर उठता है।

 

लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही IAS अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे अपनी मंजिल पाने के लिए अपने 3 साल के मासूम बेटे से पूरे 2 साल दूर रहना पड़ा। बेटे से दूर होने के गम व कुछ कर गुजरने की तमन्ना के बीच इस महिला ने वो कर दिखाया जो लोगों के लिए एक मिसाल बन गया। आज हम आपको UPSC के 2017 बैच में दूसरी रैंक हासिल करने वाली अनु कुमारी के बारे में बताएंगे।

 

मदर्स डे (Mother's Day 2020) पर हम आपको मां के रूप में योद्धा जैसी इन अफसरों की कहानी सुना रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : May 10, 2020 4:34 AM IST / Updated: May 12 2020, 10:34 AM IST
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IAS बनने करना पड़ा कलेजे के टुकड़े को खुद से दूर, रूला देगी मां के संघर्ष की ये कहानी

पूरे देश में आज 10 मई रविवार को मदर्स डे (Mother's Day) मनाया जा रहा है। मां के त्याग, संघर्ष और उसके किए गए हर छोटे-बड़े काम जिससे हमारी जिंदगी आसान बनी हो उसे सलाम करने का ये दिन है। मां की ममता और जज्बे को भी सैल्यूट करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। ऐसे ही कई बार माएं अपने लक्ष्य को पाने के लिए बच्चों से दूर भी रहने का फैसला लेती हैं लेकिन ये उनकी अग्नि परीक्षा जैसा होता है।

 

हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली अनु कुमारी ने के संघर्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनके पिता एक स्थानीय हॉस्पिटल के HR डिपार्टमेंट में थे। अनु चार भाई बहनो में दूसरे नंबर पर हैं।

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सोनीपत से ही इंटरमीडिएट करने के बाद अनु ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया। वह रोजाना सोनीपत से दिल्ली ट्रेन के जरिए अप-डाउन करती थीं। अनु को अपना घर छोड़ना अजीब सा लग रहा था इसलिए उन्होंने हॉस्टल में रहने के बजाय रोज आना-जाना ज्यादा ठीक समझा था। 

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अनु को PG के बाद ICICI बैंक में जॉब मिल गई। उसी दौरान उनकी शादी बिजनेसमैन वरुण दहिया से हो गई। शादी के बाद अनु ने बैंक की नौकरी छोड़ दी। उन्हें कर 20 लाख के पैकेज पर एक इंश्योरेंश कम्पनी में जॉब मिल गई। उन्हें एक बेटा भी हो गया जिसका नाम विहान रखा गया।

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अनु के मामा शुरू से ही अनु को UPSC की तैयारी करने के लिए प्रेरित करते रहते थे। लेकिन बेटे की जिम्मेदारी के साथ नौकरी से अनु खुद को मेंटली तैयार नहीं कर पा रही थी। उन्हें इसमें इंट्रेस्ट तो था लेकिन वह पहले खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहती थी।

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2016 में अनु के मामा ने उनके भाई के साथ मिलकर चोरी-छुपे अनु का UPSC का फॉर्म भरवा दिया। यह बात जानकर अनु ने UPSC क्रैक करने के लिए मन में ठान लिया। उन्होंने अपनी 20 लाख के पैकेज की जॉब छोड़ दी।

 

लेकिन अनु के पास प्री की तैयारी करने के लिए सिर्फ डेढ़ महीने थे। उन्होंने दिल लगाकर तैयार की लेकिन पहली बार में कुल 1 मार्क से वह कटऑफ लिस्ट में आने से रह गईं।

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अब अनु ने सिविल सर्विस क्रैक करने का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने अपने बेटे को अपनी मां के पास छोड़ दिया, और तैयारी करने अपनी मौसी के घर आ गईं। उनके पति ने भी पूरा सपोर्ट किया।

 

लेकिन महज तीन साल के बेटे से अलग होना आसान नहीं था। जब भी उसकी याद आती अनु खूब रोती थी। उधर बेटा भी अपने मां के लिए खूब रोता था। कुछ लोग ये भी कहते थे की कितनी पत्थरदिल मां है जो मसूम बेटे को छोड़कर पढ़ाई कर रही है। इन सारे हालातों पर अनु ने समझदारी से काबू रखा। उन्होंने बेटे से लगातार संपर्क रखा और जब अपने लाल की याद आई तो अकेले में रो लीं। 

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बेटे से दूर रहकर दिन-रात सिर्फ पढ़ाई करने वाली अनु ने अपने संघर्ष और जज्बे से वो कर दिखाया जो हर किसी के लिए आसान नहीं था। अनु ने साल 2017 में फिर से UPSC का एग्जाम दिया।

 

इस बार उन्होंने UPSC में टॉप किया और दूसरा रैंक हासिल करने में सफलता प्राप्त की। अनु की सफल्ता से पूरे घर में खुशी दौड़ गई लेकिन सबसे पहले घर आकर उन्होंने बेटे को चूमा। उनकी कहानी आज भी देश की सैकड़ों माओं के लिए एक बानगी है। मदर्स डे पर हम इस मां के संघर्ष को सलाम करते हैं!

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