बकरी चराने वाला गरीब लड़का बना IPS अफसर, वर्दी पहन सबसे पहले किया मां बाप को सैल्यूट
नई दिल्ली. आपने गांवों में जंगली-जानवर चराने वाले गरीब बच्चों को देखा होगा। ये दिनभर मवेशियों को चराकर परिवार के लिए रोजी-रोटी जुटाने में मदद करते हैं। पर इन मासूमों के भी आंखों में सपने होते हैं। ऐसे ही राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील के गांव रासीसर के एक गरीब लड़के का भी सरकारी नौकरी का सपना था। उसकी सरकारी नौकरी लगी भी। एक दो नहीं बल्कि 12 बार वो सरकारी नौकर बना लेकिन उसे बड़ा अफसर बनना था। ये कहानी है IPS अफसर प्रेमसुख डेलू (PremSukh Delu) की जिनके संघर्ष और सफर को सुन कोई भी दंग रह जाए।
डेलू 3 अप्रेल 1988 को जन्में हैं। छोटे से गांव का यह लड़का कामयाबी की सीढ़ियां दर सीढ़ियां चढ़ चुका है। हालांकि वह भी एक समय था जब स्कूल जाने के लिए उसके पास पेंट भी नहीं थी और आठवीं क्लास तक निक्कर पहन कर जाता था। लेकिन जिंदगी के इन्हीं अभावों ने उन्हें अंदर से मजबूत कर दिया।
प्रेमसुख बताते हैं कि, मैं गांव में रहता था, खेती करता था, मवेशियों को चराता था। लेकिन जब भी समय मिला चाहे खेती की रखवाली करते हुए या फिर मवेशियों की चराई के साथ, पढ़ाई करने बैठ जाता था। वो बताते हैं कि, मेरे लिए खोने के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन मुझे पता था कि यहां से आगे जाने की, बड़ा बनने की असंख्य संभावनाएं हैं। मेरी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई मेरे माता-पिता, मेरी बड़ी बहन अनपढ़ है। मेरे पिता ऊंट चराते थे। जब मैं छठी कक्षा में पहुंचा तब अंग्रेजी सीखना शुरू किया था।
प्रेमसुख डेलू कहते हैं,”जब लोग कहते थे कि सिविल सेवा परीक्षा और हिंदी माध्यम के साथ सफलता कठिन है तो मैंने सोचा मेरे पास संसाधनों की कमी है। लेकिन सपना देखने पर तो कोई प्रतिबंध नहीं है।”
मैंने बचपन से ही “सिविल सेवा” में करियर बनाने के बारे में सोचा था। मैं अपने आपको हर समय पढ़ाई में झोंके रखता था। तब मेरे एक शिक्षक ने मुझे सलाह दी, मुझे अभी कई मंजिलें तय करनी है तो पढ़ाई के साथ हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहिए।
एक बड़े संयुक्त परिवार के लिए हमारे पास एक भूमि का छोटा सा टुकड़ा था। परिवार में केवल कमाऊ सदस्य मेरे बड़े भाई जो कॉन्स्टेबल (राजस्थान पुलिस) में हैं। आप समझ सकते हैं कि एक कॉन्स्टेबल का वेतन कितना होता है और एक बड़े परिवार को चलाने, उनकी जरूरतों को पूरा करने और सामाजिक दायित्वों को निभाते जीवन कितना मुश्किल रहा होगा।
प्रेमसुख डेलू की सफलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 6 साल में यह 12 बार सरकारी नौकरी में सफल हुए। गुजरात कैडर के IPS प्रेमसुख डेलू ने पटवारी से लेकर IPS बनने का सफर तय किया। इनकी सरकारी नौकरी लगने का सिलसिला साल 2016 में शुरू हुआ। सबसे पहले सरकारी नौकरी बीकानेर जिले में पटवारी के रूप में लगी। 2 साल तक बतौर पटवारी के पद पर काम किया। मगर दिल में कुछ बड़ा करने की चाह थी इसलिए पढ़ाई और मेहनत जारी रखी। प्रेमसुख डेलू ने पटवारी पद पर रहते हुए कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं दी।
उन्होंने ग्रामसेवक परीक्षा में राजस्थान में दूसरी रैंक हासिल की। मगर ग्रामसेवक ज्वाइन नहीं किया क्योंकि इसी दौरान राजस्थान असिस्टेंट जेल परीक्षा का परिणाम आ गया और इसमें प्रेमसुख डेलू ने पूरे राजस्थान में टॉप किया। असिस्टेंट जेलर के रूप में ज्वाइन करते उससे पहले राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद पर चयन हो गया।
प्रेमसुख डेलू ने राजस्थान पुलिस में SI के पद पर ज्वाइन नहीं किया, क्योंकि इसी दौरान उनका स्कूल व्याख्याता के रूप में चयन हो गया तो पुलिस महकमे के बजाय शिक्षा विभाग की नौकरी को चुना। इसके बाद कॉलेज व्याख्याता, तहसीलदार के रूप में भी सरकारी नौकरी लगी।
कई विभागों में 6 साल की अवधि में अनेक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद भी प्रेमसुख ने मेहनत जारी रखी और सिविल सेवा परीक्षा में 170 वां रैंक प्राप्त किया है और हिंदी माध्यम के साथ सफल उम्मीदवार में तीसरे स्थान पर रहे।
अलग-अलग स्तर की सरकारी नौकरी करने के दौरान प्रेमसुख को समाज को समझने में काफ़ी मदद मिली। प्रेमसुख डेलू का कहना है की पढ़ाई हमेशा जारी रखें और तब तक पीछे नहीं हटें जब तक कामयाबी हासिल नहीं हों।
गुजरात में आईपीएस प्रेमसुख डेलू का ख्वाब IAS बनने का भी रहा। उनकी जिंदगी न केवल राजस्थान बल्कि देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।