बाढ़ में डूब रहा था गांव, खौफनाक मंजर में दिखा कुछ ऐसा कि अफसर बनकर ही माना किसान का बेटा

बिहार. देश भर में सिविल सर्विस को लेकर लोगों में क्रेज कम नहीं है। ऐसे में हर राज्य में सिविल सर्विस होती है। देश भर में लाखों बच्चे हर साल सिविल सर्विस की तैयारी करते हैं। ऐसे ही बिहार के एक गांव के गरीब बच्चे ने भी अफसर बनने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा दी। उसने न सिर्फ पढ़ाई में अपना सौ फीसदी दिया बल्कि उसके अफसर बनने के लिए प्रेरणा की कहानी भी लोगों को हैरान करने वाली है। आज हम आपको ऐसे ही एक आईएएस अफसर के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2020 1:42 PM IST / Updated: Feb 13 2020, 07:17 PM IST

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बाढ़ में डूब रहा था गांव, खौफनाक मंजर में दिखा कुछ ऐसा कि अफसर बनकर ही माना किसान का बेटा
ये कहानी है बिहार सिविल सेवा एग्जाम क्लियर करने वाले नितेश कुमार पाठक की। नितेश बिहार के मिमिथिलांचल क्षेत्र से आते हैं। उनके पिता का नाम भोगानंद पाठक और गृहिणी मां नवीना देवी हैं। उन्होंने मीडिया से अपने गरीबी और संघर्ष के दिनों को याद कर बताया कि, वे बेहद गरीब थे, उनके पिता किसान हैं और खेती-बाड़ी से परिवार का पेट पलता है।
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बायसी जैसे सूदूर देहाती क्षेत्र से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद नितेश पाठक ने बगल के ही गांव रतनपुर में स्थित प्रोजेक्ट ललित नारायण मिश्र उच्च विद्यालय से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। बीएनमंडल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेने के बाद वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
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वे बताते हैं कि, ग्रेजुएशन के समय ही ये सोच लिया कि, मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूंगा। फिर मैंने आगे बीए की पढ़ाई की। इस बीच गांव में बाढ़ आ गई और पूरा गांव डूब गया। मैं जहां रहता था वो क्षेत्र अधिकतर बाढ़ से प्रभावित रहता है। इस बीच साल 2008 में बाढ़ आई और बुरे हालात हो गए। उस दौरान मैंने बहुत से अधिरारियों को गांव वालों की मदद करते देखा। तभी मैंने सोचा कि मैं भी एक दिन अफसर बनूंगा जो लोगों की मदद करे।
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वे बताते हैं कि, ग्रेजुएशन के समय ही ये सोच लिया कि, मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूंगा। फिर मैंने आगे बीए की पढ़ाई की। इस बीच गांव में बाढ़ आ गई और पूरा गांव डूब गया। मैं जहां रहता था वो क्षेत्र अधिकतर बाढ़ से प्रभावित रहता है। इस बीच साल 2008 में बाढ़ आई और बुरे हालात हो गए। उस दौरान मैंने बहुत से अधिरारियों को गांव वालों की मदद करते देखा। तभी मैंने सोचा कि मैं भी एक दिन अफसर बनूंगा जो लोगों की मदद करे। मैंने ग्रेजुएशन से ही सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया। इसके बाद मैंने रोजाना पढ़ाई करने लगा। मुझे एक आईएएस बनने वाली लड़की के इंटरव्यू ने भी काफी प्रभावित किया। मुझे तब पता चला कि, टॉपर्स भी हमारे बीच से ही निकलते हैं।
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बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है इस बीच नितेश ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। नितेश बताते हैं कि मैं अपने परिवार को आर्थिक तौर पर सपोर्ट करना चाहता था इसलिए सिर्फ सिविल सेवा के भरोसे बैठना ठीक नहीं होता। इसलिए मैंने इसके साथ एसएससी की भी तैयारी की और उसके एग्जाम भी दिए। नितेश ने जब एक बार बीपीएससी परीक्षा दी तो वो सफल नहीं हो पाए। वो बताते हैं कि, मैंने अपने लक्ष्य को कभी डगमगाने नहीं दिया। मजबूत इच्छा शक्ति, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से कोशिश करता रहा।
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और फिर वो दिन भी आया जब नितेश ने अपनी कड़ी मेहनत के फल को चखा। नितेश पाठक ने बीपीएससी की परीक्षा में जेनरल कैटगरी में 25 वां रैंक हासिल किया। उनका चयन जिला नियोजन पदाधिकारी के तौर पर हुआ था। बीपीएससी में कामयाबी हासिल करने से पूर्व नितेश पाठक ने कई अन्य प्रतियोगी परीक्षा में भी सफलता अर्जित की। एक साधारण किसान के बेटे ने यह उपलब्धि हासिल कर सिर्फ अपने गांव का ही नहीं बल्कि जिले का मान-सम्मान बढ़ाया है।
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