पोते को अफसर बनाने दादी ने की मजदूरी, एक साथ कई नौकरी करने लगा पिता... मुसीबतों से निकलकर बेटा बना IAS
करियर डेस्क. फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम आपको कर्नाटक के तुमकुर जिले के रहने वाले 2014 बैच के IAS अधिकारी बालाजी डीके की कहानी बताने जा रहे हैं।
Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2020 7:34 AM IST / Updated: Feb 13 2020, 01:06 PM IST
बालाजी का जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले में हुआ था। यह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए थे। इनके पिता ने इनके पालन-पोषण व पढ़ाई के लिए कई प्राइवेट नौकरियां कीं। हांलाकि बाद में उन्हें एक बैंक में जॉब मिल गई। इनका बचपन काफी संघर्षों में बीता।
बालाजी की दादी ने उनके पिता के पालन पोषण के लिए एक दिहाड़ी मजदूर का भी काम किया। वह दिन भर मजदूरी करती थीं जिसके बाद उनके परिवार का खर्च किसी तरह से चलता था।
बचपन में बालाजी अपने पिता के साथ बैठ कर टीवी देख रहे थे। मेरे पिता ने मुझे किसी बात पर डांटा था। उस समय टीवी पर GK की कोई क्विज चल रही थी। जब उसमे सवाल पूंछा गया तो उसका उत्तर बालाजी ने अपने पिता को तुरंत ही दे दिया। जिससे उनके पिता काफी खुश हुए। उन्होंने बेटे को गले से लगा लिया। उस समय उन्हें अहसास हुआ कि अगर इंसान को GK आ जाए तो वह कोई भी चीज जीत सकता है।
उस दिन के बाद GK उनका सबसे प्रिय सब्जेक्ट बन गया। जब वो थोड़ा बड़े हुए तो उन्हें बताया गया कि IAS ही एक ऐसी परीक्षा है जिसमे सबसे हार्ड GK आता है। उसके बाद उन्होंने अपने दिल में ये सपना पाल लिया कि उन्हें यही एग्जाम क्लियर करना है।
उन्होंने 10वीं की परीक्षा 93.76% अंकों से पास की जिसमे गणित में 100% मार्क्स थे। सभी ने उनसे कहा कि उन्हें ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए विज्ञान का विकल्प चुनना चाहिए । लेकिन, वह दिल में सिर्फ IAS बनने का सपना पाले हुए थे। इसलिए उन्होंने साइंस का चयन नहीं किया।
बालाजी की मातृभाषा कन्नड़ थी। उन्हें अंग्रेजी न के बराबर आती थी। उन्होंने IAS एस नागराजन पर आधारित एक पत्रिका पढ़ने के लिए खरीदी लेकिन वह अंग्रेजी में थी। इसलिए उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। उसके बाद बालाजी ने अंग्रेजी भी पढ़ना शुरू किया। जी-तोड़ मेहनत के बाद उन्हें तकरीबन 3 महीने में अंग्रेजी की अच्छी जानकारी हो गई यह घटना तब की है जब वह क्लास 11th में थे।
उनके कालेज के प्रिंसिपल ने उन्हें MBA करने की सलाह दिया। उन्होंने MBA किया उसके बाद भी वह IAS की तैयारी करते रहे। साल 2014 में उन्होंने UPSC एग्जाम क्रैक किया। उन्हें 36 रैंक मिली। वह इस समय आंध्रप्रदेश कैडर के IAS हैं। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कई किताबें भी लिखी हैं।