सरकारी नौकरी न मिलने पर शुरू की थी 500 रुपए सैलरी की जॉब, अब स्टूडेंट्स के लिए हैं रोल मॉडल

लखनऊ(Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले  स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम आपको लखनऊ के रहने वाले एक प्राइवेट टीचर धीरज मेहरोत्रा की कहानी बताने जा रहे हैं। धीरज ने स्टूडेंट्स के लिए 200 से अधिक लर्निंग एप्स बनाए हैं। इनका जीवन भी काफी संघर्षों में बीता। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2020 5:10 AM IST

17
सरकारी नौकरी न मिलने पर शुरू की थी 500 रुपए सैलरी की जॉब, अब स्टूडेंट्स के लिए हैं रोल मॉडल
धीरज मेहरोत्रा मूलतः यूपी के प्रयागराज के रहने वाले हैं। इनके पिता एक बैंक में नौकरी करते थे। धीरज की शुरुआती शिक्षा इलाहाबाद के क्रिश्चियन कॉलेज से हुई। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इन्होंने पीजी कम्प्लीट की। उसके बाद इन्होने सरकारी नौकरी के लिए तैयारी शुरू कर दी।
27
धीरज बताते हैं "पीजी कम्प्लीट होने के बाद मैंने सरकारी नौकरी के कई फॉर्म भरे, लेकिन कहीं सिलेक्ट नहीं हो सका। हार कर मैंने टीचिंग लाइन में जाने का मन बनाया । 1990 में मुझे इलाहाबाद के बिशप जॉनसन स्कूल में जॉब मिली, जहां मेरी सैलरी 500 रुपए थी। बड़ी मुश्किल से इन 500 में खर्च चल पाता था। दो साल वहां पढ़ाने के बाद मैंने ब्वॉयज हाईस्कूल इलाहाबाद में टीचिंग शुरू की। यहां कभी मै खुद भी पढ़ता था।
37
1996 में धीरज इलाहाबाद से लखनऊ आए और यहां सीएमएस स्कूल, कानपुर रोड ज्वाइन कर लिया । 2010 में इन्होंने सीएमएस स्कूल की भी जॉब छोड़ दी और ई-लर्निंग संस्था से जुड़ गए। तब से ये ई-लर्निंग के साथ ही काम कर रहे हैं।
47
धीरज बताते हैं, "मेरा इंटरेस्ट शुरू से ही कम्प्यूटर साइंस में रहा। मैं इसके जरिए ऐसी चीजों को सर्च करता रहता था, जिससे स्टूडेंट्स को फायदा हो। मैं आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड्स के लिए कम्प्यूटर साइंस को सिंपल तरीके से समझाने करने वाली तकरीबन 50 किताबें लिख चुका हूं। आज के आधुनिक समय में बच्चे ऐप्स पर ज्यादा निर्भर करते हैं। इसलिए अब मैंने अपने आसान टीचिंग मेथड्स के तकरीबन 200 ऐप्स लॉन्च किए हैं।
57
धीरज इस समय टीचर ट्रेनिंग के प्रोग्राम्स गाइड करते हैं। उनके ऐप्स बच्चों को बेहतर एजुकेशन और क्लासरूम में बेहतर माहौल बनाने में कारगर हैं। धीरज को 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बेस्ट टीचर का नेशनल अवॉर्ड दिया।
67
धीरज अभी तक देश के कई बड़े सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। 21 अगस्त 2016 को उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। 9 जुलाई 2016 को उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से सम्मानित किया गया। इसके आलावा उन्हें प्रदेश व केंद्र सरकार से कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
77
धीरज के शानदार काम को देखने के बाद उनके पास कई सरकारी स्कूलों से जॉब की ऑफर आई। लेकिन मैंने इंकार कर दिया क्योंकि अब मुझे बच्चों के लिए नई तकनीक से काम करना बेहद पसंद आ रहा है।
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos